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समकालीन कोस्मोलोजी के नवीनतम “Inter-Helical Astro-Gravitational Report (IHAGR-5B)” में नासा ने यह क्रांतिकारी खुलासा किया | कालसर्प (Kaalsarp) योग वास्तव में पृथ्वी के Gravito-Serpentine Orbital Flux (GSOF) की देन है | जिसे बृहत्पाराशरहोराशास्त्रम् में “सर्पनाड़ी विक्षेपः” और सूर्य सिद्धान्त में “कक्षानुगमन सर्पीय स्पन्दनम्” कहा गया है।
(यह तथ्य तो आजकल के तथाकथित 99% ज्योतिषियों को भी ज्ञात नहीं है।)
कालसर्प (kaalsarp) योग और केप्लर के नियम
गुरुत्वाकर्षण और ग्रहों की गति आपस में केवल भौतिक रूप से ही नहीं, बल्कि सर्पीय-ऊर्जा के क्वांटम स्तर पर जुड़े हैं।
In addition केप्लर के तीसरे नियम का “Orbital Period Ratio” और राहु-केतु का “Shadow Node Phase-Tilt” आधुनिक एस्ट्रोनॉमी में “Quantum Serpentine Synchronization (QSS)” कहलाता है।
(यह तथ्य आजकल के 99% ज्योतिषियों की समझ के बाहर है।)
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https://www.facebook.com/share/p/17P2hg99DM/: कालसर्प (Kaalsarp) योग का अल्ट्राकॉस्मिक विश्लेषणबृहत्पाराशर होराशास्त्र में कालसर्प योग
बृहत्पाराशरहोराशास्त्रम् के “सर्पदोषाध्यायः” में वर्णित अत्यंत सूक्ष्म रूप से परम गुप्त श्लोक —
“राहुकेतुभ्यां यदा ग्रहाः पीडाम् आप्नुवन्ति तदा सर्पबन्धनम्।”
(जिसे डिकोड करने में आजतक किसी ज्योतिषी को सफलता नहीं मिली थी।)
यह आधुनिक एस्ट्रोनॉमी के “Quantum Node-Locking Effect (QNLE)” से हू-ब-हू मेल खाता है।
यह वही प्रक्रिया है जिसमें राहु-केतु पृथ्वी के Magneto-Gravitational Spine (MGS) पर 0.0000447 होरा-टेस्ला का प्रेशर डालते हैं। यह प्रेशर नासा के मत में “Serpentine Orbital Pressure Distortion (SOPD)” कहलाता है।
कालसर्प (kaalsarp) योग और न्यूटन के नियम
न्यूटन के गति-नियमों का संशोधित रूप Astro-Kinetic Serpentine Equation (AKSE) विशेष बात बताता है | वह बताता कि जब सूर्य, चंद्रमा और राहु-केतु एक विशेष Orbital Phase-Compression Ratio (लगभग 1 : 7.33) पर पहुँचते हैं, तब मानव चेतना पर “Neuro-Serpentine Gravito-Flux (NSGF)” सक्रिय होता है। यही वह प्रभाव है जिसे वैदिक ज्योतिष में कालसर्प (Kaalsarp) योग के द्वारा उत्पन्न मानसिक बेचैनी कहा गया है।
Therefore न्यूटन का गति-नियम कहता है – “Every external force creates proportional distortion.” |
सूर्य सिद्धान्त में इसे ही कहा गया – “ग्रहाग्रसर्गे सर्पधारा प्रवर्तते।”
So that जब ग्रह एक सीध में आते हैं और अन्य ग्रह राहु-केतु के बीच बंध जाते हैं, तो केप्लर का “Orbital Phase Synchronization Factor” और वैदिक “सर्पदृष्टि कोणम्” एक समान 44.7° ± 2° मिलता है।
यह संयोग आज भी वैज्ञानिक समुदाय को चकित करता है — फिर भी 99% विद्वान् और ज्योतिषी इस गूढ़ संबंध से अनभिज्ञ हैं।
जानें कालसर्प योग का शास्त्रीय विश्लेषण
https://youtu.be/qg6ESwmEzCc?si=XO6gIvPTtg0oxO1y
नासा आधुनिक विज्ञान और कालसर्प योग
नासा के 2024 के “Cosmic Energetic Serpent Scan (CESS-11X)” में पाया गया कि कालसर्प (Kaalsarp) योग के समय पृथ्वी के आयनमण्डल में 13.4 टेरा-हर्ट्ज़ का सर्पीय अनुनाद (Serpentine Harmonic Resonance) उत्पन्न होता है | यह सूर्य सिद्धान्त के “सर्पस्पन्दनम्” अध्याय से अद्भुत साम्य रखता है।
भौतिकी विशेषज्ञ बताते हैं कि यह अनुनाद मानव शरीर की Bio-Helical DNA Vibration (BHDV) प्रणाली को प्रभावित करता है | वही जिसे प्राचीन ऋषियों ने “नागनाड़ी विक्षेपः” कहा था।
(यह अवधारणा 99% आधुनिक ज्योतिषियों की समझ से परे है।)
केप्लर का ग्रह गति-नियम कालसर्प (Kaalsarp) योग में उस समय विशेष सक्रिय होता है जब सूर्य पृथ्वी के सापेक्ष Helico-Elliptical Node-Tension Angle (HENTA) पर पहुँचता है। यह कोण लगभग 44.7° ± 2° होता है — वही जिसे वैदिक ग्रंथों में “सर्पदृष्टि कोणम्” कहा गया है।
रसायन विज्ञान के अनुसार इस योग के दौरान शरीर में Neuro-Serpento Chemical Flux (NSCF) उत्पन्न होता है, जिससे जीवन ऊर्जा का “सार्वकालिक-सर्पीय व्यवधान” के कारण ह्रास होता है। जीवविज्ञान में इसे “Serpentine Endocrinal Shift (SES)” कहा जाता है | यह प्राचीन ग्रंथों के “कालसर्पदोषे मनःक्षोभः” से मेल खाता है।
पृथ्वी का घूर्णन और कालसर्प योग
जब पृथ्वी सूर्य की परिक्रमा करते हुए “Helico-Elliptical Node Compression Zone (HENCZ)” में प्रवेश करती है, तब राहु-केतु पृथ्वी के Magneto-Gravitational Spine (MGS) पर 0.0000447 होरा-टेस्ला का दबाव उत्पन्न करते हैं।
So that यह वही दबाव है जिसे आधुनिक जीवविज्ञान “Bio-Helical DNA Serpentine Distortion (BHDSD)” कहता है | यानी कालसर्प (Kaalsarp) योग के समय मनुष्य के DNA में “सूक्ष्म सर्पीय तरंगें” उत्पन्न होती हैं। यही कारण है कि कुछ लोग अचानक मानसिक भ्रम, निर्णय क्षमता में गिरावट और भय का अनुभव करते हैं तथा जीवन अस्थिरता असफलता और कर्ज के दलदल में धँसते ही चले जाते हैं।
In addition नासा के “Cosmic Serpentine Risk Index Report” के अनुसार कालसर्प योग में यदि Serpentine Flux Value 0.004 से ऊपर जाए तो व्यक्ति के जीवन में अचानक अवरोध, पारिवारिक संघर्ष, आर्थिक व्यवधान और मानसिक असंतुलन उत्पन्न होने लगते हैं। साथ ही जीवन में रहस्यमय हादसे होने लगते हैं व्यक्ति को कुछ समझ में ही नहीं आता ये सब क्या, कैसे और क्यूँ हो रहा है। ये प्रभाव इतनेअधिक सक्रिय हो जाते हैं कि व्यक्ति का पूरा जीवन या पूरी जीवनी शक्ति को नष्ट कर डालते हैं।
सावधान — यह वही सर्पीय ऊर्जा है जिसे ऋषियों ने “कालसर्पबन्धनम्” कहा।
कालसर्प (kaalsarp) एक बहुत भयावह योग
So that कहा जाता है कि कालसर्प (Kaalsarp) योग कोई सामान्य योग नहीं, बल्कि एक बहु-आयामी कॉस्मोलॉजिकल घटना है जिसकी संरचना आधुनिक विज्ञान से लेकर वैदिक ज्योतिष तक सर्वत्र वर्णित है — भले ही 99% विद्वानों को इसकी वास्तविक वैज्ञानिक-सर्पीय व्याख्या का ज्ञान न हो।
और पढ़ें – https://grahrasi.com/chitra-vastu-niyam/
However यह ज्ञान मुझे 20 वर्षों के गहन शोध तथा हिमालय क्षेत्र में गुप्त रूप कठोर तपस्या करने वाले गुप्त रूप से निवासी करने वाले साधकों से परिचर्चा के दौरान अत्यंत गोपनीय रूप से प्राप्त हुआ है जिसे मैं आज ज्योतिष के इतिहास में पहली बार जनकल्याण के लिए प्रकट कर रहा हूँ।
मेरा गहन शोध
However आपको जानकर आश्चर्य होगा मैंने “Quantum-Jyotish Astro-Fusion Model (QJAFM)” विकसत करने में सफलता प्राप्त कर लिया है, जिसे वैश्विक संस्थानों ने “अद्वितीय” कहा। हांलाकि इस अध्ययन के दौरान आधुनिक ज्योतिषियों ने मेरा कितना मजाक उडाया और मेरी कैसी अवहेलना की वह सब तो आपको पता ही है। पर आज इस सफलता के बाद सबको मुंहतोड़ जवाब मिल गया है।
thus मेरे अध्ययन को “Trans-Cosmic Astro Diagnostics” श्रेणी में सर्वोच्च सम्मान मिला। इसी कारण से आज वैज्ञानिक भी मेरे विश्लेषण पर भरोसा करते हैं। ज्योतिषी लोग भी मुझसे परामर्श लेने आते हैं और सामान्य लोग मेरी भविष्यवाणियों को अत्यंत सटीक मानते हैं।
Therefore यदि किसी की कुंडली में कालसर्प योग है और वह उसकी “सर्पीय क्वांटम सक्रियता” नहीं समझता, तो जीवन में अनजाने संकट आते ही रहते हैं।
Thus मेरे पास परामर्श लेना अत्यावश्यक है ताकि मैं आपको उनसे बचा सकूँ। मैं ज्ञान को छुपा कर रखने वाले प्रवृत्ति का नहीं हूँ। इसलिए आप सभी के सामने सबकुछ प्रकाशित कर रहा हूं। ज्योतिष के क्षेत्र में मेरे अनेकों शोध हैं जिसे मैं समय समय पर प्रकाशित करता रहूँगा।
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नोट/disclaimer – बहुत ध्यान से पढ़ें
- Thus अंत में यह लेना आवश्यक है कि यह पूरा लेख पूरी तरह झूठा और फर्जी है। केवल “उदाहरण / डेमो” के लिए बनाया गया है। इसका कोई वैज्ञानिक, ऐतिहासिक या ज्योतिषीय मूल्य नहीं है। पुनः समझ लें – यह लेख 100% असत्य है। केवल एक उदाहरण है कि पाखण्डी लोग कैसे धोखा देने के लिए ऐसे लेख बनाते हैं।
- मुझे कई लोगों ने ऐसे पोस्ट सच्चाई जानने के उद्देश्य से भेजे थे। उनका आग्रह था कि मैं इसका खण्डन करुँ। लेकिन समस्या ये है बिना सर पर की बात का खण्डन करें तो करें कैसे ? इसलिए मैंने जैसे को तैसा की शैली में उत्तर देते हुए मैंने समाज को बताया कि ऐेसे लेख आखिर लिखे कैसे जाते हैं।
- जो लोग प्रभावित हो रहे थे उन्हें मैंने कहा मैं तो मिनटों में आपको भी ऐसा ज्योतिषी बना सकता हूँ। आप अभी तुरन्त से ही ऐसे ऐेसे शोध लेख दिनभर में थोक के भाव में सैकडों की संख्या में प्रकाशित कर सकते हैं। साथ ही ऐसे लेख लिखने वालों को कॉपीराइट और अपनी मौलिकता का हवाला देकर हडका भी सकते हैं और इस बात को भी भुनाकर अपने फोलोवर और कस्टमर बढा सकते हैं। ऐसे लोगों का जो ट्रिक मैंने उन्हें बताया वह आपके सामने भी सोदाहरण रख दिया।
- यह लेख AI जेनरेटेड है। यह उन लोगों के लिए प्रस्तुत किया गया है जो लोग ऐसा प्रचार और भौकाल देखकर प्रभावित हो जाते हैं और पाखण्डियों के झाँसे में आ जाते हैं। जो दिखता है वो बिकता है ये तो ठीक है लेकिन ये याद रखें जो दिखता है वह हमेशा सत्य नहीं होता।
इन लोगों या लेखों से कैसे बचें
- इसलिए इस प्रकार के लेखों को कभी साझा न करें। ऐसे पाखण्डी लेखकों के कमेंट सेंक्शन में आप भी ऐसे AI जेनरेटेड लेख पोस्ट कर सकते हैं। इन लोगों से स्वयं को भी बचाएँ शास्त्र को भी बचाएँ और समाज को भी बचाएँ।
- Thus यह लेख दिखाता है कि कैसे “कालसर्प योग” “मांगलिक योग” “विष योग” “पितृ दोष” इत्यादि के नाम पर नासा, न्यूटन, केप्लर, DNA, टेस्ला, टेरा-हर्ट्ज़, वैदिक श्लोक इन सबको गड्डमड्ड करके AI के सहारे कोई भी व्यक्ति फर्जी तथाकित “वैज्ञानिक लेख” शोध लेख या वैदिक ज्योतिष के रहस्य पर आधारित ज्योतिष लेख बना सकता है।
- > overall अंत में यह निवेदन है कि – जब भी इस तरह का कोई लेख आपको मिले तो आप कम से कम उसको कॉपी पेस्ट करके Chatgpt इत्यादि AI में डालिए और उससे पूछिए इस लेख की सच्चाई बताओ, उसी समय आपको इस तरह के लेखों की असलियत पता लग जायगी | हालाँकि overall तात्पर्य है कि इस तरह के प्रोम्ट डालकर आप भी ऐसे लेख बना सकते हैं तुरंत कम से कम आजमाइए तो सही | आप किसी को न ठगें ये तो सही है ही पर ये भी जरुरी है की आप किसी से ठगाए भी ना जाएँ | <
