क्या ब्राह्मण फैलाता है अन्धविश्वास ?

पुजारी नहीं चाहता है कि आप अंधविश्वास में पड़े रहें !

पुजारी कभी नहीं चाहता की आप अन्धविश्वास में डूबे रहें। वो चाहता है कि आपके घर में शादी हो, पुत्रजन्मोत्सव हो, आपकी नौकरी लगे आपका व्यवसाय अच्छा हो, आप स्वस्थ रहें, आप सुखी रहें……..।

ब्राह्मणों का इतिहास लालची, धनासक्त, लूटेरा कभी नहीं रहा आगे भी ईश्वर से प्रार्थना है कि वे ऐसा इतिहास न बनाएँ।

जिन लोगों ने अन्धविश्वास फैलाया वो ब्राह्मण नहीं थे, जिन्होंने हिन्दू धर्म को कलंकित किया वो ब्राह्मण नहीं है।

हमारे समाज में साधु, सन्यासी बनने की मनाही किसी जाति को नहीं इसलिए कबीरदास कहते हैं जात न पूछो साधु की। इसी बात का फायदा उठाकर बिजनेस माइंडेड अन्य जाति के लोगों ने साधू बनने का ढ़ोंग करके धर्म को बदनाम किया।  आम जनता समझती है साधु मतलब ब्राह्मण इसलिए ब्राह्मणों  को जबरन् बदनाम किया गया।

समाज स्वयं अपनी करनी का जिम्मेदार है पर अपनी गलती किसी को दिखाई नहीं देती।
लोग गुरुकुल नहीं खोलेंगे!
पूजा पाठ के नाम पर लाखों रूपया चन्दा होगा परन्तु पूजा पाठ के नाम पर श्रद्धा की जगह सिर्फ दिखावे पर धनव्यय होगा।                   पूजन सामग्री नदारत और ब्राह्मण अगर 1100 रु. दक्षिणा मांगे तो फट् से उसे लोभी बोल देंगे।
गुरुकुल खोलने के लिए प्रार्थना करो तो आउटडेटेड़ बोल देंगे।

कोई सपोर्ट नहीं करना पर समाज को सत्यनारायण कथा सुनने के लिए भी उच्च कोटि का वैदिक ब्राह्मण चाहिए।
वाह….क्या सोच है?

पहले हर गाँवों में गुरूकुल हुआ करते थे। गाँव लोग ब्राह्मण बालकों को बहुत आदर, सम्मान और श्रद्धा के साथ भिक्षा देते थे। राजा स्वयं गुरुकुल को हमेशा सेवा सुविधा देने के लिए तत्पर रहते थे। तब हमारे देश में उच्च कोटि के वैदिक विद्वान जन्म लेते थे यह सब भारत में ही होता था। हमारे और आपके पूर्वज ही ऐसा करते थे। इसलिए हम विश्वगुरू थे।

मेरा बातें कड़वी लग सकती हैं पर आप लोग मेरे स्वभाव से परिचित हैं, मैं स्पष्टवादी हूँ ।

।। हितं मनोहारी च दुर्लभं वचः ।।

– पं ब्रजेश पाठक “ज्यौतिषाचार्य”

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