ज्योतिष और स्वप्नदोष

ज्योतिष और स्वप्नदोष

कुछ दिनों पहले मेरे पेज के माध्यम से किसी बन्धु ने स्वप्नदोष का ज्योतिषीय निदान पूछा था ।
हाँलाकि अपनी व्यस्तता के कारण मैं बहुत विलम्ब से उत्तर दे रहा हूँ फिर भी आशा है कि उनके साथ-साथ मेरे युवा मित्रों को मेरे इस परिश्रम से अच्छा लाभ प्राप्त होगा।

यह विषय आज के समय में बहुत प्रासंगिक हो चला है । बदलते सामाजिक रवैये और बिगड़े खानपान की वजह से बहुत से लोग इस रोग से ग्रस्त होने के बावजूद संकोचवश किसी से कुछ कह नहीं पाते और बहुत बार तो उन्हें सही मार्गदर्शन भी नहीं मिलता। उम्मीद करता हूँ मेरा यह लेख उन सभी मित्रों के लिए बहुत कारगर और अमूल्य साबित होने वाला है ।

अपने नाम के विपरीत स्वप्नदोष (Nocturnal emission) कोई दोष न होकर एक स्वाभाविक दैहिक प्रक्रिया है।
जिसके अंतर्गत एक पुरुष को नींद के दौरान कभी-कभी वीर्यपात (स्खलन) हो जाता है।
यह महिने में अगर 1 या 2 बार ही हो तो बहुत बार सामान्य बात कही जा सकती है और संभव है कि उसे कोई रोग न हो । किन्तु यदि यह इससे ज्यादा बार होता है तो यह एक रोग का रूपधारण कर रहा होता है। इससे वीर्य/शुक्र की हानि होती है और व्यक्ति को शारीरिक कमजोरी का अहसास होता है। क्योंकि यह शुक्र भी रक्त कणों से पैदा होता है। अतः अत्यधिक शुक्र क्षय व्यक्ति को कमजोर कर देता है। इससे नपुंसकता, निस्तेजता, निर्बलता आदि कई कठिन रोग होने लगते हैं। आत्मग्लानि का बोध व्यक्ति को मानसिक तौर पर कुंठित करने लगता है।

तो आइए जानते हैं इसपर ज्योतिषीय विचार और सुगम, सरल किन्तु बहुत कारगर उपाय-

ज्योतिष के अनुसार निम्नलिखित योगों में स्वप्नदोष रोग होता है-

1. सप्तम व द्वितीय भाव यदि पापग्रह मंगल, शनि, राहु/केतु स्थित हो।

2. शुक्र वक्री ग्रह की राशि में हो ।

3. शुक्र बुध, गुरु या शनि की राशि में हो।

4. शुक्र पापकर्तरी योग में हो अथवा पापग्रह के साथ हो या पापग्रह से दृष्ट हो ।

5. शुक्र अस्त हो ।

6. शुक्र खराब भावों में स्थित हो ।

7. ये सब स्थितियाँ यदि सप्तमेश के साथ हो तो भी स्वप्नदोष रोग होता है।

8. पापग्रह की राशि में सप्तमेश और शुक्र की युति हो ।

9. सप्तम, सप्तमेश,शुक्र, लग्नेश, लाभेश इनमें से अधिकतर ग्रह मंगल के नवमांश में हों।

10. धनु लग्न में लग्नस्थ चन्द्रमा यदि शनि के नवमांश में हो ।

11. राहु, शनि व शुक्र अपने उच्च में हों तथा सूर्य कर्क और चन्द्रमा मेष राशि में हो।

12.पञ्चम में शनि-गुरु हों और लग्न में चन्द्रमा हो ।

13.कन्या लग्न हो लग्न शनि व बुध से दृष्ट हो एवं शुक्र शनि की राशि में स्थित हो ।

14. त्रिंशांश कुंडली में यदि शुक्र शनि की राशि में हो और शनि के साथ सम्बन्ध बनाए ।

इसमें अन्तिम चार योग(11, 12, 13, 14) प्रबलता से स्वप्नदोष की पुष्टि करते हैं।
इन योगों में स्वप्नदोष के अलावा अल्पवीर्य और वीर्यहानि, कामुकता जैसे लक्षण भी दिखाई देते हैं।

उपाय

1. ओपल धारण करें।

2. धातुपौष्टिक चूर्ण (वैद्यनाथ) का प्रतिदिन सेवन करें।

3. देशी गौ-दुग्ध रात्रि में हल्दी और गुड़ के साथ सेवन करें। पीने से पहले दूध को निहारते हुवे 21 बार ये श्लोक पढ़ें-
ॐ नमो भगवते महाबले पराक्रमाय
मनोभिलषितं मनः स्तम्भं कुरु कुरु स्वाहा ।।

4. प्रत्येक शुक्रवार शिवजी को दही चढ़ाएँ।

5. रोज कम से कम 20 मिनट सिद्धासन में अवश्य बैठें, पादपश्चिमोत्तानासन वीर्यरक्षा के लिए सबसे प्रभावशाली आसन है इसका अभ्यास करें।

6. रोजाना सुबह स्नानकर तुलसी में जल दें और पढ़ें-
जयन्ति मंगला काली भद्रकाली कपालिनी
दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते ।।

7. शुक्र कवच व शुक्र स्तवराज का पाठ करें।

8. सोते समय रात्रिसूक्त का पाठ करें।

9. सुबह स्नानादि के पश्चात अर्गला स्तोत्र पढ़ें।

10. शुक्र अस्त हो तो अपराजिता स्तोत्र का पाठ करें।

11. शिवसंकल्पसूक्त का पाठ और शुक्र गायत्री का जप बहुत जल्दी कामवासना पर नियन्त्रण प्रदान करता है।

12. तुलसी का सेवन करें ।

13. अनुलोम-विलोम व कपालभाति प्राणायाम करें।

14. आँवला चूर्ण 50 ग्राम और मिश्री चूर्ण 100g परस्पर मिलाकर रोज एक चम्मच सेवन करें ध्यान रहे इसचूर्ण को सेवन करने के ड़ेढ़घन्टे तक दूध का सेवन न करें।

15. सादा रहन सहन, उपयुक्त शुद्ध शाकाहारी सादा आहार, शिश्नेन्द्रिय स्नान, ब्रह्ममुहूर्त जागरण, योगाभ्यास, दुर्व्यसनों से दूरी, सत्संग व शुभसंकल्प करें।

16. कामुक दृश्य, अश्लिलता यौन साहित्य आदि से दूर रहें।

17. प्रातः काल रात्रिपर्यन्त ताम्रपात्र में रखा हुआ जल पर्याप्त मात्रा में सेवन करें।

18. प्रातः काल शहद के साथ केला खाएँ।

19. मूलेठी चूर्ण+शहद+देशी गौ घी मिलाकर सुबह सेवन करें।

20. गुलकन्द को गाय के दूध में मिलाकर सेवन करें।

21. 10 ग्राम बबूल की गोंद रात में भिगो दें और सुबह मिश्री के साथ पिएँ।

इनमें से अधिकतम उपायों को अपने दिनचर्या में शामिल करें। एक बार में एक से अधिक औषधी का सेवन न करें। कोई एक औषधि जो आपको आसानी से सुलभ हो उसका सेवन करते हुए अथवा अपने चिकित्सक से अपने अनुकूल औषधि का चयन कराकर उसका सेवन करते बाकी अन्य सभी उपायों को करें जितना अधिक आप कर सकते हैं।
इससे निस्सन्देह आप तेजस्वी, विवेकी वीर्यवान बनेंगे और स्वप्नदोष जैसे रोग आपसे कोसों दूर भागेंगे।

– पं ब्रजेश पाठक “ज्यौतिषाचार्य”
Mob.- 7004022856.
Fb-@ptbrajesh.

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