सूर्य महादशा में अन्तर्दशाओं का फल

सूर्य महादशा में अन्तर्दशाओं का फल

 

 

* सूर्य महादशा में सूर्य की अन्तर्दशा का फल

सूर्य की दशा में सूर्य की अंतर्दशा हो तो ब्राह्मण, राजा, शास्त्र आदि से धनलाभ, मन में सन्ताप और विदेश भ्रमण या वन्य क्षेत्रों की यात्रा होती है ।

 

* सूर्य महादशा में चन्द्रमा की अन्तर्दशा का फल

सूर्य की दशा में चंद्रमा की अंतर्दशा प्राप्त होने पर बंधु व मित्रजनों की सहायता से धनप्राप्तिम होती है | लेकिन मित्र या सज्जन से प्रमाद और पीलिया आदि रोगों से कष्ट भी होता है ।

 

* सूर्य महादशा में मंगल की अन्तर्दशा का फल

सूर्य की दशा में मंगल की अंतर्दशा प्राप्त हो तो रत्न, सोना आदि धन की प्राप्ति, राजप्रिती, शुभफल और पित्तरोग की वृद्धि होती है ।

 

* सूर्य महादशा में राहु की अन्तर्दशा का फल

सूर्य की दशा में राहु की अंतर्दशा हो तो अकाल-मृत्यु, संताप, बंधुवर्ग व शत्रुओं द्वारा उत्पीड़न और मानसिक दुःख होता ।

 

* सूर्य महादशा में गुरु की अन्तर्दशा का फल

सूर्य की दशा में वृहस्पति की अंतर्दशा हो तो जातक सर्वपूज्य होता है । पुत्र से धन प्राप्ति, देव-ब्राह्मण आदि के पूजन करने की प्रवृत्ति, सत्कर्म आचरण, और अच्छी संगती होती है ।

 

* सूर्य महादशा में शनि की अन्तर्दशा का फल

सूर्य की दशा में शनि की अंतर्दशा हो तो सब लोगों से शत्रुता, आलस्य, हीन आजीविका, मानसिक रोग तथा राजा और चोर से भय होता है ।

 

* सूर्य महादशा में बुध की अन्तर्दशा का फल

सूर्य की अंतर्दशा में बुध की अंतर्दशा हो तो बन्धुपीड़ा, मानसिक सन्ताप, उत्साह हीनता, धन नाश और साधारण ही सुख मिलता है ।

 

* सूर्य महादशा में केतु की अन्तर्दशा का फल

सूर्य की दशा में केतु की अंतर्दशा हो तो कण्ठ रोग, मन में संताप, नेत्र रोग और अकाल-मृत्यु आदि फल होते हैं ।

 

* सर्य महादशा में शुक्र की अन्तर्दशा का फल

सूर्य की दशा में शुक्र की अंतर्दशा हो तो जल से द्रव्यप्राप्ति, परिश्रम की अधिकता, दुष्ट स्त्री का संग और लोगों से रूखे संवाद होते हैं ।

 

 

ध्यान रखें –

• सूर्य की दशा के आदि में माता-पिता को रोग व धन का नाश, मध्य में सब तरह की बाधाएँ व दशा के अंत में सुख होता है । उच्चगत रवि के नीच नवमांश में होने से उसकी दशा में बदनामी, भय, पुत्र, स्त्री, रोजगार, पितृवर्ग व बन्धुओं की हानि होती है । नीचगत सूर्य यदि उच्च नवांश में हो तो राजकीय शोभा व लक्ष्मी का सुख, लेकिन महादशा के अंत में धनहानि या शरीर-हानि होती है ।

 

पं. ब्रजेश पाठक ज्यौतिषाचार्य

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