कुछ दिन पहले किसी जिज्ञासु ने पूछा था आज कल गृहक्लेश बढ़ता जा रहा है। लोग इसका उपाय पूछते हैं। इसका प्रभावशाली शास्त्रीय उपाय क्या है?
मित्रों, गृहक्लेश का कारण हमारे छः आतंरिक शत्रुओं का अनियन्त्रित होना है। ये छः आभ्यन्तर शत्रु या विकार हैं-
1.काम
2. क्रोध
3. लोभ
4. मोह
5. मद और
6. मात्सर्य ।
आजकल कलियुग का ऐसा प्रभाव है, समय और शासन तंत्र का ऐसा कुचक्र है लोग संस्कारहीन होते जा रहे हैं। अमर्यादित जीवन शैली, अशास्त्रीय जीवन, गलत खान-पान, गैजेट्स पर बहुत ज्यादा आसक्ति आदि कारण से लोगों के अन्दर उपर्युक्त विकृतियों की बेतहाशा अभिवृद्धि देखी जा रही है।
आज के समय में धर्म-संस्कृति की मर्यादा का न तो लोगों को ज्ञान है और न ही उन्हें इसे जानने तथा पालन करने की इच्छा ही है। संस्कारहीन, अमर्यादित परिवेश में पलने बढ़ने के कारण वर्तमान पीढ़ी आचारहीन तथा पथभ्रष्ट होकर अपना अमूल्य मानव जीवन और बेसकीमती समय का का दुरुपयोग करते हुए पतन होने से अधोगति को प्राप्त हो रही है। जिससे मानव शक्ति का अवमूल्यन हो रहा है।
एक बहुत बढ़िया सुभाषित स्मरण हो आया। उक्त जिज्ञासा के सन्दर्भ में यह सुभाषित बहुत प्रासंगिक है-.
“काव्यशास्त्रविनोदेन कालो गच्छति धीमताम्।
व्यसनेन च मूर्खाणां निद्रया कलहेन वा।।”
अर्थात्- काव्यशात्र(यह शब्द यहाँ संस्कृत वाङ्मय का उपलक्षण है।) का आनन्द लेने में बुद्धिमान व्यक्ति का समय व्यतीत होता है। लेकिन मूर्खों का समय व्यसन में निद्रा में अथवा कलह में व्यतीत होता है।
तो यह निश्चित हुआ कि गृहक्लेश निवारण का पहला उपाय है सुसंस्कृत शास्त्रसम्मत मर्यादित जीवन।
दूसरा कर्मकाण्ड़ परक बहुत प्रभावशाली उपाय है हरिनाम संकीर्तन।
यदि गृहक्लेश से बहुत परेशान हों तो हरिनाम संकीर्तन कराना चाहिए।
कहा गया है-
सर्वरोगोप्रशमनं सर्वोपद्रवनाशनम्।
शान्तिदं सर्वऽरिष्टानां हरेर्नामानुकीर्तनम्।।
अर्थात्- भगवन्नाम संकीर्तन सभी रोगों का उपसमन करने वाला है, सभी तरह के उपद्रवों का नाश करने वाला है तथा सभी तरह के अरिष्टों की शान्ति करने वाला है।
पुनश्च-
आत्यन्तिकं व्याधिहरं जनानां,
चिकित्सितं वेदविदो वदन्ति ।
संसारतापत्रयनाशबीजं,
गोविन्द-दामोदर-माधवेति ।।
अर्थात्- वेदवेत्ताओं का कहना है कि गोविन्द-दामोदर और माधव यह भगन्नाम मनुष्यों के अत्यंत घातक रोगों का हरण वाला भेषज्(औषधि) है। यह संसार के आधिभौतिक, आधिदैविक और आध्यात्मिक त्रिविध तापों का नाश करने वाला बीज मन्त्र है।
पुनश्च-
आधयोर्व्याधयोर्यस्य स्मरणान्नामकीर्तनात्।
तदेव विलयं यान्ति तमनन्तं नमाम्यहम् ।।
अर्थात्- जिसके स्मरण से और नाम संकीर्तन से मानसिक और शारीरिक बाधाएँ तत्काल विनष्ट हो जाती हैं, उस अनन्त को मैं प्रणाम करता हूँ।
अब यह प्रश्न हो सकता है कि नाम संकीर्तन कैसे हो???
उसके लिए आप घर के विभिन्न स्थानों में भगवान का नाम लिखें और जब जब नजर पड़े भगवान का नाम गुनगुनाते रहें।
यदि अनुष्ठान के रूप में कराना चाहें तो आप 24 घण्टे का अखण्ड़ हरिकीर्तन करा सकते हैं।
जिसके निम्नलिखित प्रकल्प हो सकते हैं-
1. अखण्ड़ रामचरितमानस पाठ
2. अखण्ड़ सुन्दरकाण्ड़ या हनुमानचालिसा पाठ
3. अखण्ड़ हरिकीर्तन इस मंत्र से
हरे राम! हरे राम! राम राम हरे हरे!
हरे कृष्ण! हरे कृष्ण! कृष्ण कृष्ण हरे!
अथवा इस मंत्र से-
© पं. ब्रजेश पाठक “ज्यौतिषाचार्य”
B.H.U., वाराणसी।