गणित दिवस या रामानुजन जयन्ति

गणित दिवस या रामानुजन जयन्ति

 

आज गणित दिवस, Maths Day अर्थात् रामानुजन जयन्ति है, पूरे विश्व में जब भी गणित की या गणित में योगदान की बात की जाती है तो श्रीनिवास रामानुजन का नाम प्रमुखता से लिया जाता है। विश्व स्तर पर गणित के क्षेत्र में उनका योगदान अनुकरणीय है।
श्रीनिवास रामानुजन् इयंगर एक महान भारतीय गणितज्ञ थे। इन्हें आधुनिक काल के महानतम गणित विचारकों में गिना जाता है। इन्हें गणित में कोई विशेष प्रशिक्षण नहीं मिला, फिर भी इन्होंने विश्लेषण एवं संख्या सिद्धांत के क्षेत्रों में गहन योगदान दिए। गरीबी, सीमित संसाधनों और सरकारी लालफीताशाही के बावजूद उन्होंने अपनी विलक्षण प्रतिभा से दुनियां को चमत्कृत कर दिया।
प्राचीन समय से भारत गणितज्ञों की सरजमीं रही है। भारत में आर्यभट, भास्कर, भास्कर द्वितीय और माधव सहित दुनिया के कई मशहूर गणितज्ञ पैदा हुए। उन्नीसवीं शताब्दी और उसके बाद में श्रीनिवास रामानुजन, चंद्रशेखर सुब्रमण्यम और हरीश चंद्र जैसे गणितज्ञ विश्व पटल पर उभरकर सामने आते रहे हैं।

Maths Day

श्रीनिवास रामानुजन का जन्म 22 दिसम्बर 1887 को दक्षिण भारत (तमिलनाडु) के ईरोड में हुआ था । आपको बता दें बहुत विलक्षण प्रतिभा के बावजूद भारतीय शिक्षा व्यवस्था ने उन्हें अयोग्य घोषित करके बाहर का रास्ता दिखा था । 12वीं में गणित विषय पर दो दो बार असफल होने के बाद उन्होंने विद्यालयीय शिक्षा का त्याग कर दिया और स्वतंत्र रुप से अध्ययन करने लगे । हाँलाकि उनकी योग्यता और उनके शोधकार्यों को देखते हुए बिट्रेन ने उन्हें बीए और पीएचडी की मानद उपाधि प्रदान कि थी । सन 1911 में रामानुजन का “सम प्रॉपर्टीज ऑफ बर्नोलीज नम्बर्स” नामक प्रथम शोधपत्र
जनरल ऑफ मैथमेटिक्स सोसायटी में प्रकाशित हुआ । मद्रास के इंजीनियरिंग कॉलेज के प्रोफेसर सिएलो ग्रैफिक्स ने रामानुजन के शोध-पत्र गणित विद्वानों को प्रेषित किए। प्रोफ़ेसर हार्डी उनके शोध पत्र से बहुत प्रभावित हुए और उन्हें कैंब्रिज बुला लिया । लंदन जाते ही ट्रिनिटी कॉलेज में उन्हें दाखिला मिल गया ।
अपनी प्रतिभा से बहुत थोड़े ही समय में वह लंदन के विद्वानों के बीच छा गए उनकी प्रतिभा से प्रभावित होकर रॉयल सोसाइटी ने उन्हें अपना सदस्य बनाकर ट्रिनिटी कॉलेज ने भी उन्हें अपना फैलो चुनकर सम्मानित किया। रामानुजन के हाईली कम्पोजिट नम्बर्स नामक शोध प्रबन्ध का सारांश जरनल ऑफ लन्दन मैथेमेटिकल सोसायटी में 50 पृष्ठों में विस्तार से छापा गया था। बाद में वो क्षयरोग से घिर गए और भारत लौट आए । यहाँ आकर भी उनकी बिमारी बढ़ती चली गई और 26 अप्रैल 1920 को 33 वर्ष की अल्पायु में ही उनका निधन हो गया । भारत सरकार ने उनके विलक्षण प्रतिभा को सम्मान देते हुए उनके जन्मदिवस 22 दिसम्बर को राष्ट्रिय गणित दिवस घोषित किया । उनकी प्रतिभा का अन्दाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उनकी मृत्यु के 100 साल बाद भी उनके बहुत सारे प्रमेय अनसुलझे ही हैं । उनकी जीवनी पर हॉलीवुड में द मैन हू नोज इनफिनीटी नामक फिल्म भी बनाई गई है।

– ज्यौतिषाचार्य पं. ब्रजेश पाठक – Gold Medalist

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