फलित सूत्र
मृत्यु भावगत चन्द्रमा का फल –
चंद्रमा के आठवें भाव में होने से आयु हानि होती है, और ऐसा चंद्रमा ज्यादातर धन व्यर्थ कार्यों एवं बीमारी में खर्च कराता है।
अष्टमस्थ चंद्रमा का फल भट्टनारायण विरचित चमत्कार चिन्तामणि नामक ग्रन्थ में इस प्रकार दिया गया है-
सभाविद्यतेभैषजीतस्यगेहे
पचेत्कर्हिचित्क्वाथमुद्गोदकानि |
महाव्याधयोभीतयोवारिभूताः
शशीक्लेशकृत्संकटान्यष्टमस्थः ||
अर्थात्- जिस जातक के अष्टम भाव में चंद्रमा हो, उसके घर में वैद्यों(डॉक्टरों) की सभा लगी रहती है। कोई वैद्य ज्वर का काढ़ा तैयार करवाता है, तो कोई मूँग का पथ्य बनाने के लिए कहता है। जल से उत्पन्न होने वाली जलोदर आदि बीमारियाँ होती हैं, तथा जल से भय भी बना रहता है। उसे दुर्जनों द्वारा दिए गए अनेक पीड़ा का सामना करना पड़ता है। आठवाँ चंद्रमा हमेशा कष्टकर ही होता है।
अष्टमस्थ चन्द्रमा का फल कहने से पूर्व निम्नलिखित बातों का भी गम्भीरता से विचार कर लेना चाहिए :-
* अष्टम चंद्रमा होने पर व्यवसाय संबंधी योग अपना फल देने में ज्यादा उत्साही होते हैं, अर्थात् अष्टमस्थ चन्द्रमा रहने पर इस बात की संभावना बढ़ जाती है कि जातक नौकरी न करके व्यापार करेगा।
* व्यक्ति का स्वभाव निड़र, साहसी और खतरों से खेलने वाला होता है।
* व्यक्ति अपने या अपने किसी कुटुम्बी या सुहृद के रोग से बहुत परेशान रहता है।
* चन्द्रमा का पक्षबल कमजोर रहने पर मानसिक रोग होने की संभावना बहुत बढ़ जाती है।
* अष्टमस्थ चन्द्रमा प्रबल बालारिष्ट भी बनाता है, कर्क राशी का अष्टमस्थ चंद्रमा भी प्रबल बालारिष्ट बनाएगा ही, लेकिन ऐसे जातक उम्र के दूसरे पड़ाव में भाग्यशाली भी होते हैं और लम्बी आयु भी पाते हैं।
* अष्टमस्थ चन्द्रमा की दशा में आजीविका प्राप्ति की संभावना बहुत बढ़ जाती है।
* अष्टमस्थ चन्द्रमा वालो का मन अशांत और विचार परिवर्तनशील होते हैं।
* अष्टम भाव में गजकेसरी योग बनने पर जातक गुप्त विद्या का जानकार या साधु या तांत्रिक होता है, उसे अचानक गुप्त धन की प्राप्ति भी होती है।
– पं. ब्रजेश पाठक “ज्यौतिषाचार्य”
हरिहर ज्योतिर्विज्ञान संस्थान, लोहरदगा।