होलाष्टक में क्या करें क्या नहीं?

होलाष्टक विचार इस वर्ष 2 मार्च 2020 से होलाष्टक का आरम्भ हो रहा है । यह होली के आठ दिन पहले से शुरू हो कर होली तक रहने वाला एक अशुभ मुहूर्त है । शुक्लाष्टमीसमारभ्य फाल्गुनस्य दिनाष्टकम्।    पूर्णिमावधिकं व्याज्यं होलाष्टकमिदं शुभे।। (शीघ्रबोध श्लोक सं. 137) अर्थात्- फाल्गुन शुक्ल अष्टमी से आरम्भ करके फाल्गुन पूर्णिमा तक […]

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होलाष्टक में क्या करें क्या नहीं?

होलाष्टक विचार इस वर्ष 2 मार्च 2020 से होलाष्टक का आरम्भ हो रहा है । यह होली के आठ दिन पहले से शुरू हो कर होली तक रहने वाला एक अशुभ मुहूर्त है । शुक्लाष्टमीसमारभ्य फाल्गुनस्य दिनाष्टकम्।    पूर्णिमावधिकं व्याज्यं होलाष्टकमिदं शुभे।। (शीघ्रबोध श्लोक सं. 137) अर्थात्- फाल्गुन शुक्ल अष्टमी से आरम्भ करके फाल्गुन पूर्णिमा तक

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मातृभाषा दिवस

भास्कर एस्ट्रो एसोसिएशन ने मनाया मातृभाषा दिवस भारत सरकार के विज्ञान प्रसार नेटवर्क से संबद्ध संस्था “भास्कर एस्ट्रो एसोसिएशन लोहरदगा” के द्वारा 21 फरवरी को “लोहरदगा ग्राम स्वराज संस्थान” के सभागार में मातृभाषा दिवस मनाया गया। जिसमें “मातृभाषा एवं विज्ञान” विषय पर संगोष्ठी तथा निबंध लेखन प्रतियोगिता आयोजित की गई। कार्यक्रम की अध्यक्षता “लोहरदगा ग्राम

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अष्टम भाव के चन्द्रमा का फल

फलित सूत्र मृत्यु भावगत चन्द्रमा का फल – चंद्रमा के आठवें भाव में होने से आयु हानि होती है, और ऐसा चंद्रमा ज्यादातर धन व्यर्थ कार्यों एवं बीमारी में खर्च कराता है। अष्टमस्थ चंद्रमा का फल भट्टनारायण विरचित चमत्कार चिन्तामणि नामक ग्रन्थ में इस प्रकार दिया गया है- सभाविद्यतेभैषजीतस्यगेहे पचेत्कर्हिचित्क्वाथमुद्गोदकानि | महाव्याधयोभीतयोवारिभूताः शशीक्लेशकृत्संकटान्यष्टमस्थः || अर्थात्-

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अष्टम भाव के चन्द्रमा का फल

फलित सूत्र मृत्यु भावगत चन्द्रमा का फल – चंद्रमा के आठवें भाव में होने से आयु हानि होती है, और ऐसा चंद्रमा ज्यादातर धन व्यर्थ कार्यों एवं बीमारी में खर्च कराता है। अष्टमस्थ चंद्रमा का फल भट्टनारायण विरचित चमत्कार चिन्तामणि नामक ग्रन्थ में इस प्रकार दिया गया है- सभाविद्यतेभैषजीतस्यगेहे पचेत्कर्हिचित्क्वाथमुद्गोदकानि | महाव्याधयोभीतयोवारिभूताः शशीक्लेशकृत्संकटान्यष्टमस्थः || अर्थात्-

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अष्टम भाव के चन्द्रमा का फल

फलित सूत्र मृत्यु भावगत चन्द्रमा का फल – चंद्रमा के आठवें भाव में होने से आयु हानि होती है, और ऐसा चंद्रमा ज्यादातर धन व्यर्थ कार्यों एवं बीमारी में खर्च कराता है। अष्टमस्थ चंद्रमा का फल भट्टनारायण विरचित चमत्कार चिन्तामणि नामक ग्रन्थ में इस प्रकार दिया गया है- सभाविद्यतेभैषजीतस्यगेहे पचेत्कर्हिचित्क्वाथमुद्गोदकानि | महाव्याधयोभीतयोवारिभूताः शशीक्लेशकृत्संकटान्यष्टमस्थः || अर्थात्-

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अष्टम भाव के चन्द्रमा का फल

फलित सूत्र मृत्यु भावगत चन्द्रमा का फल – चंद्रमा के आठवें भाव में होने से आयु हानि होती है, और ऐसा चंद्रमा ज्यादातर धन व्यर्थ कार्यों एवं बीमारी में खर्च कराता है। अष्टमस्थ चंद्रमा का फल भट्टनारायण विरचित चमत्कार चिन्तामणि नामक ग्रन्थ में इस प्रकार दिया गया है- सभाविद्यतेभैषजीतस्यगेहे पचेत्कर्हिचित्क्वाथमुद्गोदकानि | महाव्याधयोभीतयोवारिभूताः शशीक्लेशकृत्संकटान्यष्टमस्थः || अर्थात्-

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नक्षत्रों द्वारा खोई वस्तु का पता लगाएँ !

नक्षत्रों की सहायता से खोई हुई वस्तु का पता लगाएँ नष्टवस्तु परिज्ञान की यह अद्भुद विधि मुहूर्त चिंतामणी नामक ग्रन्थ के नक्षत्र प्रकरण में दी गई है ! सात-सात नक्षत्रों के चार समूह में 28 नक्षत्रों को बाँटकर इन्हे अंध, मन्द, मध्य, और सुलोचन संज्ञा देते हैं। फिर इसी के अनुरुप खोई हुई वस्तु के

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शिवरात्रि में क्या करें ?

शिवरात्रि में क्या करें ? ईशान संहिता के अनुसार इसी शिवरात्री को करोड़ों सूर्य के समान कान्तिवाले आदिदेव शिवलिङ्ग के रूप में प्रकट हुए थे। इसदिन व्रत रहकर रात्रिजागरण, नाम संकीर्तन, रुद्राभिषेक, शिवविवाह, शिव-पार्वती श्रृंगार आदि करना चाहिए। इस व्रत में रात्रि जागरण महत्वपूर्ण है। शास्त्रों में शिवरात्रि की रात्रि को जागरण करने और प्रहर

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महाशिवरात्रि व्रत निर्णय

महाशिवरात्रि व्रत निर्णय देवदेव! महादेव! नीलकण्ठ! नमोऽस्तुते, कर्तुमिच्छाम्यहम् देव शिवरात्रि व्रतं तव । तवप्रसादाद्देवेश निर्विघ्नेन भवेदिति, कामाद्या शत्रवो माम् वै पीड़ां कुर्वन्तु नैव हि।। अर्थात्- देवदेव! महादेव! नीलकण्ठ आपको नमस्कार है। मैं आपके शिवरात्रि व्रत का अनुष्ठान करना चाहता हूँ। देवेश्वर आपका यह व्रत बिना किसी विघ्न बाधा के पूर्ण हो, और काम क्रोध आदि

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