Prakirna

प्रचलित संगीतमय कर्मकांड पर विशद विवेचन

संसार की उत्पत्ति नाद से मानी गयी है। प्रणव ही बीज है तथा प्रणव ही निःशेष है। ओमित्येकाक्षरं ब्रह्म… ॐकार का नाद ही ब्रह्म का नाद है। यह नाद ही कालांतर में संगीत का आधार बना। स्वयं भगवान ब्रह्मदेव, नटराज एवं देवर्षि नारद आदि ने इसका प्रसारण किया। प्रजापति ब्रह्मा ने छंदों की रचना करके […]

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बुद्धि के भेद

अक्सर देखा जाता है कि व्यवहार में लोग धी, बुद्धि, स्मृति, मेधा, मति, प्रज्ञा आदि शब्दों को समानार्थी समझते हुए प्रयोग करते हैं। पर वस्तुतः ये समानार्थी लगने वाले शब्द विशेष परिभाषाओं को धारण करते हैं। आइए इनको समझें। धी- धी: बुद्धि: वस्तुग्रहणशक्ति:। उपदिष्टग्रहणे शक्ति: धी:। अर्थात्- बुद्धि शब्द धी का वाचक है। धी का

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अक्सर देखा जाता है कि व्यवहार में लोग धी, बुद्धि, स्मृति, मेधा, मति, प्रज्ञा आदि शब्दों को समानार्थी समझते हुए प्रयोग करते हैं। पर वस्तुतः ये समानार्थी लगने वाले शब्द विशेष परिभाषाओं को धारण करते हैं। आइए इनको समझें। धी- धी: बुद्धि: वस्तुग्रहणशक्ति:। उपदिष्टग्रहणे शक्ति: धी:। अर्थात्- बुद्धि शब्द धी का वाचक है। धी का

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‘ज्ञ’ का उच्चारण स्थान

ज्ञ’ वर्ण के उच्चारण पर शास्त्रीय दृष्टि- संस्कृत भाषा मेँ उच्चारण की शुद्धता का अत्यधिक महत्त्व है। शिक्षा व व्याकरण के ग्रंथोँ मेँ प्रत्येक वर्ण के उच्चारण स्थान और ध्वनि परिवर्तन के आगमलोपादि नियमोँ की विस्तार से चर्चा है। फिर भी “ज्ञ” के उच्चारण पर समाज मेँ बडी भ्रांति है। और जब सनातन वैदिक हिँदू

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