Vrata Tyohara

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दीपावली के बारे में वो सबकुछ जो आपको जानना चाहिए – 2024

दीपावली क्यों है सबसे खास? आइये आज जानते हैं दीपावली का महत्त्व और उसकी विशेषता जो उसे सभी पर्वों में विशिष्ट बनाती है | “दीपानाम् आवली: दीपावली:” यहाँ षष्ठी-तत्पुरुष समास है, जिसका अर्थ है दीपों का समूह | इस दिन पूरा देश दीपों की जगमगाहट से चमकता रहता है | यह पर्व पाँच तिथियों तक […]

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दीपावली पर्व विचार 2024

दीपावली पञ्चतिथ्यात्मक त्यौहार है। यह धनत्रयोदशी से प्रारम्भ होता है और यमद्वितीया पर पूर्ण होता है। धनत्रयोदशी, नरकचतुर्दशी, दीपावली, काली पूजा, गोवर्धन पूजा, यम द्वितीया (भैया दूज) ये सारे दीपावली पर्व के ही अंग हैं। आज की इस परिचर्चा में हम इन सभी पर्वों के पूजन मुहूर्त पर विचार करेंगे। इस वर्ष इस पञ्चतिथ्यात्मक पर्व

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मकर संक्रांति विशेष क्या करे क्या नहीं | Detail Analysis on makar Sankranti 2024

मकर संक्रांति मित्रों सम्पूर्ण सनातन परिवार में मकर संक्रांति एक महान् पर्व के रूप में मनाया जाता है। क्योंकि आज से हमारे जगत्नियन्ता सूर्यनारायण भगवान उत्तरायण होते हैं। इस वर्ष मकर में सूर्य संक्रान्ति 14/15 जनवरी 2024 को रात्रि 2:31 में हो रहा है।1 इसलिए इस वर्ष 15 जनवरी को संक्रांतिजन्य पुण्यकाल होने से मकर

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चंद्रग्रहण 28-29 अक्टूबर 2023 की सम्पूर्ण जानकारी | Partial lunar Eclipse

आप सब को ज्ञात ही होगा कि आश्विन शुक्ल पूर्णिमा दिन शनिवार तदनुसार 28 अक्टूबर 2023 को भारतवर्ष में चंद्रग्रहण लगने वाला है। आइए आज इस ग्रहण की विशेषताओं के बारे में जानते हैं साथ ही ग्रहण संबंधी कृत्याकृत्य सूतक तथा अन्य वैज्ञानिक और धर्मशास्त्रीय जानकारियां भी प्राप्त करेंगे।  ग्रहण कभी अकेला नहीं आता, सूर्य ग्रहण हमेशा

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होलाष्टक में क्या करें क्या नहीं?

होलाष्टक विचार इस वर्ष 2 मार्च 2020 से होलाष्टक का आरम्भ हो रहा है । यह होली के आठ दिन पहले से शुरू हो कर होली तक रहने वाला एक अशुभ मुहूर्त है । शुक्लाष्टमीसमारभ्य फाल्गुनस्य दिनाष्टकम्।    पूर्णिमावधिकं व्याज्यं होलाष्टकमिदं शुभे।। (शीघ्रबोध श्लोक सं. 137) अर्थात्- फाल्गुन शुक्ल अष्टमी से आरम्भ करके फाल्गुन पूर्णिमा तक

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होलाष्टक में क्या करें क्या नहीं?

होलाष्टक विचार इस वर्ष 2 मार्च 2020 से होलाष्टक का आरम्भ हो रहा है । यह होली के आठ दिन पहले से शुरू हो कर होली तक रहने वाला एक अशुभ मुहूर्त है । शुक्लाष्टमीसमारभ्य फाल्गुनस्य दिनाष्टकम्।    पूर्णिमावधिकं व्याज्यं होलाष्टकमिदं शुभे।। (शीघ्रबोध श्लोक सं. 137) अर्थात्- फाल्गुन शुक्ल अष्टमी से आरम्भ करके फाल्गुन पूर्णिमा तक

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शिवरात्रि में क्या करें ?

शिवरात्रि में क्या करें ? ईशान संहिता के अनुसार इसी शिवरात्री को करोड़ों सूर्य के समान कान्तिवाले आदिदेव शिवलिङ्ग के रूप में प्रकट हुए थे। इसदिन व्रत रहकर रात्रिजागरण, नाम संकीर्तन, रुद्राभिषेक, शिवविवाह, शिव-पार्वती श्रृंगार आदि करना चाहिए। इस व्रत में रात्रि जागरण महत्वपूर्ण है। शास्त्रों में शिवरात्रि की रात्रि को जागरण करने और प्रहर

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महाशिवरात्रि व्रत निर्णय

महाशिवरात्रि व्रत निर्णय देवदेव! महादेव! नीलकण्ठ! नमोऽस्तुते, कर्तुमिच्छाम्यहम् देव शिवरात्रि व्रतं तव । तवप्रसादाद्देवेश निर्विघ्नेन भवेदिति, कामाद्या शत्रवो माम् वै पीड़ां कुर्वन्तु नैव हि।। अर्थात्- देवदेव! महादेव! नीलकण्ठ आपको नमस्कार है। मैं आपके शिवरात्रि व्रत का अनुष्ठान करना चाहता हूँ। देवेश्वर आपका यह व्रत बिना किसी विघ्न बाधा के पूर्ण हो, और काम क्रोध आदि

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