शुभ_धनत्रयोदशी (धनतेरस / धन्वन्तरि जयन्ती)

आज से ही (10/11/2023 से) पञ्चदिवसात्मक दीपावली पर्व का शुभारंभ होता है। आइए जानते हैं धनत्रयोदशी (धनतेरस / धन्वन्तरि जयन्ती) की महिमा और इस त्योहार को मनाने की शास्त्रीय विधि क्या है।

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धनत्रयोदशी(धनतेरस) :- यहाँ जो धन शब्द आया है उसे भ्रम के कारण लोग रुपया-पैसा-समृधि समझ लेते हैं। लेकिन वास्तव में यह शब्द आयुर्वेद के जनक भगवान धन्वन्तरी के लिए आया है। वैसे भी हिन्दी में यह लोकोक्ति प्रसिद्ध है “पहला धन निरोगी काया” संस्कृत में भी “शरीरमाद्यं खलु धर्मसाधनम्” कहा गया है।

पुराणों के अनुसार आज के ही दिन समुद्र-मंथन के समय 14 रत्नों में से 14वें रत्न के रूप में अमृत कलश लिए हुए भगवान् धन्वन्तरि का प्रादुर्भाव हुआ था। यह धनत्रयोदशी पर्व उनकी ही जयंती के रूप में आदिकाल से मनाया जाता रहा है। “शरीरमाद्यं खलु धर्मसाधनम्” अर्थात् धर्म की साधना के लिए सर्वप्रथम शरीर की ही रक्षा की जानी चाहिए। इसलिए तो आरोग्य के देवता भगवान् धन्वन्तरि के पूजन के साथ हमारे प्रकाश पर्व दीपावली का शुभारम्भ होता है। धनत्रयोदशी के दिन अकालमृत्यु के नाश के लिए घर के मुख्य द्वार पर आटे का दीपक जलाकर दीपदान किया जाता है।

  #पद्मपुराण में कहा गया है :-

कार्तिकस्यासिते पक्षे त्रयोदश्यां निशामुखे ।
यमदीपं बहिर्दद्यादपमृत्युर्विनश्यति ।।

अर्थात् – कार्तिक मास के कृष्णपक्ष की त्रयोदशी तिथि में घर के बाहर सायंकाल यम के निमित्त दीपदान करने से अपमृत्यु का नाश होता है।

यमदीपदान के साथ ही इस दिन औषधीय वृक्षों जैसे तुलसी, नीम, पीपल, बेल आदि के समक्ष भी दीप जलाया जाता है। आयुर्वेद के जानकार वैद्यजन आज के दिन औषधि निर्माण और संरक्षण का कार्य भी करते हैं।भगवान धन्वन्तरि के प्राकट्य के समय उनके हाथ में स्वर्णकलश था, इसलिए आज के दिन सोने-चाँदी के बर्तन आदि की खरीदारी की प्रथा भी चल पड़ी।

आपको सबको जानकर आश्चर्य होगा कि स्वर्णभस्म, रजतभस्म आदि आयुर्वेद की महनीय औषधियों के रूप में प्रतिष्ठित हैं। आज के दिन कुबेर देवता का पूजन भी किया जाता है और उनसे व्यापार वृद्धि की प्रार्थना की जाती है। आज के दिन से ही व्यापारी लोग अपना हिसाब खाता अर्थात् बहीखाता लिखना प्रारम्भ करते हैं। बहुत जगहों पर आज के ही दिन लक्ष्मी पूजन भी किया जाता है। आज के दिन देश के कई क्षेत्रों में बडे स्तर पर कुबेर पूजन करने का भी प्रचलन है।

इस पोस्ट में आज के दिन किए जाने वाले दो अद्भुत प्रयोग आपको बताता हूँ। जिनमें से एक प्रयोग आरोग्य प्राप्ति के लिए और एक प्रयोग धनप्राप्ति के लिए है।

प्रथम_प्रयोग (धन लाभ हेतु)

यदि आप आर्थिक समस्या से जूझ रहे हैं अथवा अपनी आर्थिक प्रगति चाहते हैं तो आज के दिन #कुबेर_मन्त्र का जप करें। आज के दिन किया जाने वाला अनुभूत कुबेर मन्त्र जप और पूजन की संक्षिप्त प्रक्रिया आपको बताता हूँ।

कुबेर देव सुख-समृद्धि और धन प्रदान करने वाले देवता माने गए हैं। धर्म शास्त्रो के अनुसार जीवन में धन, सुख, समृद्धि और ऐश्वर्य प्राप्ति के लिए कुबेर भगवान की आराधना की जाती है। शास्त्रों के अनुसार कुबेर देव को देवताओं का कोषाध्यक्ष माना गया है।अत: धन प्राप्ति के लिए धनत्रयोदशी के दिन धन के देवता कुबेर का पूजन अवश्य ही करना चाहिए।

कुबेर देव का दुर्लभ मंत्र –
!! “ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं वित्तेश्वराय: नम:” !!
कुबेर देवता की स्थापना तथा विधिवत षोडशोपचार या दशोपचार या पंचोपचारादि पूजन करने के पश्चात् उक्त मन्त्र का 1008 या 10,000 या एक लाख की संख्या में जप करें या कराएँ तथा खीर से दशांश हवन करें और अन्त में ब्राह्मण को भोजन कराएँ तो निश्चित ही आपकी धन संबंधी समस्या दूर होगी और घर में सुख का संचार होगा।

द्वितीय_प्रयोग (आरोग्य प्राप्ति हेतु)

भगवान् धन्वन्तरि श्रीमन्नारायण के ही अंशावतार माने गए हैं। सायंकाल यमदीपदान करने के पश्चात् शुद्ध वस्त्र धारण करें और शुद्ध आसन पर बैठकर आचमान, पवित्रिकरण और प्राणायाम आदि करके धन्वन्तरि भगवान का “ओम् धन्वन्तरये नमः” मंत्र से पंचोपचार पूजन करें। तदनन्तर विष्णु भगवान का ध्यान करें और घी का दीपक जलाकर निम्नलिखित मंत्र का यथाशक्ति एक, तीन, पाँच, सात, दश, ग्यारह, सोलह, इक्कीस या सत्ताइस माला जप करें।

अच्युतानन्तगोविन्दनमोच्चारणभेषजात् ।
नश्यन्ति सकला रोगाः सत्यं सत्यं वदाम्यहम् ।।

अर्थात् – अच्युत्, अनन्त और गोविन्द इन औधषरूप नामों का उच्चारण करने से समस्त रोग नष्ट हो जाते हैं ऐसा मैं सत्य सत्य कहता हूँ।

अपनी इच्छा और आवश्यकता के अनुसार आप उक्तप्रयोग कर सकते हैं। जिनसे आपको निश्चित् ही लाभ होगा इसमें कोई सन्देह नहीं है।

  • ज्यौतिषाचार्य पं. ब्रजेश पाठक – Gold Medalist
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