प्रश्न – “कालसर्प योग, पितृदोष, गुरुचाण्डाल योग, अंगारक योग, बुधादित्य योग, पिशाच योग, विषयोग आदि सभी कपोल कल्पित और अशास्त्रिय योग है। बस इन कपोल-कल्पित योगों के द्वारा सामान्य जनमानस को दिग्भ्रमित किया जा रहा है।”
आचार्य जी उक्त व्यक्तव्य पोस्ट एवं पोस्टर के रूप में वायरल हो रहा है, इसपर आपका क्या विचार है, क्या ये सही बात है ?????
उत्तर – ऐसा नहीं है, ऐसी बात बोलना या प्रसारित करना सर्वथा गलत है। विषयोग और बुधादित्य योग के कई सारे प्रमाण बहुत ही आसानी से मिल जाएँगे। बाकि योगों के संबंध में भी कुछ साम्य प्रमाण एवं तर्क मिलेंगे।
प्रश्न – एक जिज्ञासा और है प्रभु कि कालसर्पदोष और पितृदोष भी शास्त्रीय और प्रामाणिक है ना ??
क्योंकि ऐसा मैंने कुछ दिन पहले एक और व्यक्ति से सुना था कि कालसर्प दोष नहीं होता है और पितृदोष कुण्डली से जानने का विषय नहीं है।
ये भी स्पष्ट कर दें क्योंकि इसको लेकर थोड़ा असमंजस में हुँ और आप मुझे पूर्ण विश्वास और भरोसा है। 🙏
उत्तर – पितृ दोष के बारे में लगभग सही ही सुना है। बृहत्पाराशर होराशास्त्र में पितृशाप का उल्लेख आता है। भावप्रकाश नामक ज्योतिष ग्रन्थ में पितृदोष शब्द भी आता है। लेकिन ये बात ठीक है कि ये दोष कुण्डली की अपेक्षा पारिवारिक इतिहास और निवास स्थान का निरीक्षण और पिण्ड-सगोत्रियता आदि के आधार पर परीक्षिण करना ज्यादा उचित है और इससे परिणाम भी बेहतर मिलते हैं।
जहाँ तक कालसर्प योग की बात है कालसर्प दोष के प्रभाव तो दिखते हैं। ये एक पापमध्य योग है। पापमध्य योग शास्त्रों में मिलते ही हैं। पापकर्तरी और पापमध्य दो योग शास्त्रों में प्राप्त हैं। पापमध्य का ही एक प्रकार है जिसे कालसर्प कहकर प्रचारित किया गया और उसका हौआ बना दिया गया। केवल ज्योतिष की बात नहीं है मीडिया में कोई बात आ जाए तो उसका हौआ बन ही जाता है।
धैर्य पूर्वक शास्त्रों का परिशीलन करना चाहिए, उसके बाद ही कोई बात सप्रमाण रखनी चाहिए। ऐसा मेरा मत है।
जिज्ञासु – जी सादर प्रणाम सहित आभार 🙏
- ज्यौतिषाचार्य पं. ब्रजेश पाठक – Gold Medalist
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