व्यतीपात – भ्रामक पोस्ट का खंडन

✓✶ आज और कल अर्थात् 5 एवं 6 मार्च 2024 को व्यतीपात व्यतीपात बोलकर दान का अनन्त असंख्य फल बताने वाले तथा वराहपुराण का प्रमाण लेकर घूमने वालों से तुरन्त सावधान होने की जरूरत है।

✓✶ ऐसे सज्जनों से विनम्र आग्रह है कि ज्योतिषीय विषयों पर किसी विद्वान् ज्योतिषी से चर्चा करके ही कुछ प्रसारित करें।

✓✶ “न ही सर्वः सर्वं जानाति” इसलिए जिन विषयों पर अपना अधिकार न हो उसमें या तो अधिकार बनाएँ अथवा अधिकारी से संपर्क करें।

✓✶ यह जो श्लोक प्रसारित किया जा रहा है उसके अन्तिम पंक्ति को देखें –

गणयित्वा व्यतीपातकालं वा वेत्ति यो नरः।
सर्वपापहरौ तस्य भवतो भानुभेश्वरौ।।

अर्थात् – जो व्यतीपात काल की गणना करे अथवा जो व्यतीपात कालगणना जानता हो उसके सारे पाप सूर्य-चन्द्रमा हरण कर लेते हैं। तो उसका गणित इतना सरल है क्या जो थोक के भाव में पापहरण स्कीम चलाया जा रहा है।

✓✶ इसकी गणना बहुत कठिन है। बहुत मतलब अत्यंत ही कठिन। सरलता से समझिए कि अच्छे प्रकांड सिद्धांत ज्योतिषी भी इसकी गणना करने में पानी मांगने लगते हैं।

✓✶ जिनको इसकी गणना के काठिन्य का अन्दाजा लगाना हो वे एकबार जरा सूर्यसिद्धान्त का पाताधिकार पढ लें।

✓✶ और हाँ विद्वानों सिद्धान्त ज्योतिष् के ग्रन्थों में एक दो ही ऐसे अत्यंत मार्मिक विषय हैं जिसका फलकथन किया गया है, उनमें से एक यह व्यतीपात योग भी है जिसमें स्नान दान का महत्व सिद्धान्त ग्रन्थ में भी बताया गया है। (देखें – सूर्यसिद्धान्त पाताधिकार श्लोक १८)
आप इसी बात से इसका महत्व समझिए की ग्रहण के लिए भी कुछ फलकथन न करने वाला सिद्धान्त ग्रन्थ व्यतीपात की भयावहता भी बताता है (देखें – सूर्यसिद्धान्त पाताधिकार श्लोक १६-१७) और इसमें स्नानादि का फलकथन भी करता है। मुझे लगता है व्यतीपात का महत्व समझने के लिए इतना पर्याप्त है।

✓✶ चूँकि व्यतीपात की गणना अत्यंत कठिन है अतः किस दिन इसकी गणना करनी चाहिए कब व्यतीपात होने की संभावना है इसके ज्ञान के लिए एक सरल सूत्र दिया है –

एकायनगतौ स्यातां सूर्याचन्द्रमसौ यदा ।
तद्युतौ मण्डले क्रान्योस्तुल्यत्वे वैधृताभिधः।।१।।

विपरीतायनगतौ चन्द्रार्कौ क्रान्तिलिप्तिकाः ।
समास्तदा व्यतीपातो भगणार्धे तयोर्युतौ ।।२।।

सूर्यसिद्धान्त पाताधिकार

  • जब सूर्यचन्द्रमा का अयनसाम्य हो तथा इनके राश्यादिकों का योग 12 राशि हो और इनकी क्रान्ति समान हो तब वैधृति नामक महापात होता है।
  • अथवा जब सूर्यचन्द्रमा का अयनभेद हो तथा इनके राश्यादिकों का योग 6 राशि हो और इनकी क्रान्ति समान हो तब वैधृति नामक महापात होता है।

अब देखिए सूर्यनारायण हैं कुम्भ राशि में यानि उत्तरायण में और चन्द्रदेव हैं धनुराशि में यानि दक्षिणायन में। औसत अनुमान के लिए केवल राशि ही जोडकर देखें तो

  • 11 (कुम्भ) + 9 (धनु) = 20,
  • 20 राशि – 12 राशि = 8 राशि

6 राशि आता तब क्रान्ति का भी मिलान कर लेते। इस प्रकार से ज्ञान करके योग रहने पर इसकी काल गणना की जाती है।

अब स्पष्ट तो है ही कि आज या कल व्यतीपात नहीं है।

✓✶ ग्रहण की गणना जितनी कठिन है, क्रान्तिसाम्य की गणना उससे कम कठिन नहीं है बन्धु इसलिए Designer Astrologers से सावधान।
बडे धोखे हैं इस राह में…

✓✶ अरे किन-किन योगों के साथ इसकी तुलना की गई है, ये तो देख लेते कम से कम। थोड़ी सी तो अकल लगाते मालिक।

✓✶ प्रिय छात्रों व जिज्ञासुओं के लिए उत्तर –

वराहपुराण के प्रमाण से उक्त व्यतीपात विष्कुम्भादि वाला व्यतीपात न होकर क्रान्तिसाम्य वाला व्यतीपात है।

ब्रजेश पाठक ज्यौतिषाचार्य

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