जातक का पंचमेश नीच होने के बावजूद जातक बुद्धिमान कैसे ?

आज एक जिज्ञासु ने ये प्रश्न भेजा है आइए इसका उत्तर देख लेते हैं। हाँलाकि इस तरह के और प्रश्न पहले भी आ चुके हैं और मैंने उनका उत्तर अपने पेज पर प्रकाशित किया है। फिर सवाल जब-जब जवाब तब-तब की तर्ज पर इसका उत्तर दे रहा हूँ।
इस तरह की समस्या ज्योतिष में तब आती है जब हमलोग ज्यौतिष के किसी एक नियम को तो बहुत ज्यादा महत्व देने लगते हैं पर शास्त्र सागर में गोता नहीं लगाते । Classics में आपको इस तरह के तमाम प्रश्नों का उत्तर बड़ी आसानी से मिल जाएगा, आप एक बार राउंड तो लगाएँ।

आइए कुंडली विचार करते हैं, आपका प्रश्न है कि जातक का पंचमेश नीच होने के बावजूद जातक बुद्धिमान कैसे हो गया?
सारावली में नीच शुक्र का फल देखते हैं-
असुरदयितोऽस्वतन्त्रं_प्रणष्टदारं विषमशीलम्
अ. ४४ श्लो. १८
इसमें कहीं नहीं लिखा है कि जातक अज्ञानी या मूर्ख या मन्दबुद्धि होगा।\

पुनश्च आइए सारावली में ही शुक्र के कन्या राशि में होने का फल देखिए-
लघुचिन्तो_मृदुनिपुणः_परोपसेवी_कलाविधिज्ञश्च ।
स्त्रीसम्भाषणमधुरः_प्रणयनगणनार्थकृतयत्नः ॥
नारीषु_दुष्टरतिषु_प्रणयी_दीनो_न_सौख्यभोगयुतः ।
कन्यायां_भृगुतनये_तीर्थसभापण्डितो_जातः ॥

अ.२८ श्लो. ११-१२
पहले श्लोक के पहले पंक्ति के द्वितीय चरण में देखिए, लिखा है- कलाविधिज्ञश्च व्यक्ति कला और कानून का जानकार होगा। फिर से पहले श्लोक के चौथे पद को देखिए लिखा है- गणनार्थकृतयत्नः तो निश्चित है ऐसा व्यक्ति गणित, डाटा एनालिसिस, डाटा मैनेजमेंट संबंधी अध्ययन करेगा इसमें दिक्कत क्या है?
फिर आइए दूसरे श्लोक का चौथा पद देखिए, लिखा है- सभापण्डितो_जातः ऐसा व्यक्ति तो विद्वान होगा ही और जनता के बीच उसके विद्वत्ता की प्रसिद्धि भी होगी ।

शुक्र पञ्चमेश होकर नवम में है आइए पञ्चमेश के नवम भाव में होने का फल देखते हैं, पाराशर में-
सुतेशे_नवमे_पुत्रो_भूपो_वा_भूपसन्निभः
स्वयं_वा_ग्रन्थकर्ता_च_पुत्रः_स्यात्कुलदीपकः।।
अ.२५ श्लो-५२
पाराशर तो इस जातक को Book Writer बना रहे हैं। मन्दबुद्धि किताब तो लिखेगा नहीं, कम से कम किताब लिखने भर की योग्यता तो उसमें जरूर होगी।

थोड़ा और गोता लगाएँ, देखिए वह शुक्र नवमांश में स्वगृही है।
सारावली में कल्याणवर्मा कहते हैं-
स्वेषूच्चभागेषु_फलं_समग्रं_स्वक्षेत्रतुल्यं_भवनांशकेषु ।
नीचारिभागेषु_जघन्यमेव_मध्यं_फलं_मित्रगृहांशकेषु।। ४५.२२
इससे स्पष्ट होता है कि यदि ग्रह लग्न में नीच और नवांश में उच्च/स्वगृही हो तो मध्यम फल प्रदान करेगा। शुक्र का नीचत्व तो वैसे ही कमतर हो गया है।

आपने स्वयं निर्णय कर लिया कि शुक्र का नीचभंग नहीं हो रहा है, मित्र यह भी ध्यान रखिए ग्रह यदि नीच का है और नीचराशीश तथा उस ग्रह के उच्च राशीश संबंध करें तो नीचभंग हो जाता है। कुंड़ली में शुक्र का नीचराशीश बुध और शुक्र का उच्च राशीश गुरु संबंध कर रहे हैं।
और भी अनेक बातें हैं जिनकी व्याख्या हो सकती है। लेकिन प्रयोजन पूर्ण होने से कलम को विराम देता हूँ, लेख बढ़ता जाएगा।
समय की पाबन्दी आप सब जानते ही हैं।

– पं. ब्रजेश पाठक “ज्यौतिषाचार्य”
B.H.U., वाराणसी।

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