नक्षत्रों की सहायता से खोई हुई वस्तु का पता लगाएँ
नष्टवस्तु परिज्ञान की यह अद्भुद विधि मुहूर्त चिंतामणी नामक ग्रन्थ के नक्षत्र प्रकरण में दी गई है !
सात-सात नक्षत्रों के चार समूह में 28 नक्षत्रों को बाँटकर इन्हे अंध, मन्द, मध्य, और सुलोचन संज्ञा देते हैं।
फिर इसी के अनुरुप खोई हुई वस्तु के फल का विचार किया जाता है।
जिस समय वस्तु खोई हो या जिस समय वस्तु के खोने की सूचना मिले या जिस समय कोई प्रष्टा प्रश्न करे उस समय का नक्षत्र पंचांग में देख लें, फिर निम्नलिखित विवरण के अनुसार फल कहें-
अन्ध नक्षत्र :-
रोहिणी
पुष्य
उत्तराफाल्गुनी
विशाखा
पूर्वषाढ़ा
धनिष्ठा
रेवती
फल- शीघ्रलाभ तथा पूर्वदिशा से वस्तुप्राप्ति ।
मन्द नक्षत्र:-
मृगशिरा
अश्लेषा
हस्त
अनुराधा
उत्तरषाढ़ा
शतभिषा
अश्विनी
फल- यत्नलाभ तथा दक्षिण दिशा से वस्तुप्राप्ति ।
मध्य नक्षत्र:-
आर्द्रा
मघा
चित्रा
ज्येष्ठा
अभिजित
पूर्वभाद्रपद
भरणी
फल- वस्तु की सूचना मिल जाएगी, वस्तु नहीं मिलेगी तथा पश्चिम दिशा में वस्तु की गति रहती है।
सुलोचन नक्षत्र:-
पुनर्वसु
पूर्वाफाल्गुनी
स्वाति
मुला
श्रवण
उत्तरभाद्रपद
कृतिका
फल- अलाभ तथा उत्तर दिशा में वस्तु की गति ।
– पं. ब्रजेश पाठक “ज्यौतिषाचार्य”
हरिहर ज्योतिर्विज्ञान संस्थान, लोहरदगा।