वारक्रम का आधार क्या है ?

वारक्रम का आधार

 

क्या आपने कभी सोचा है की रविवार के बाद सोमवार ही क्यों आता है ? मंगलवार क्यों नहीं जा आ जाता ? Why Monday comes after Sunday and not comes before saturday ?   क्या इस वारक्रम का कोई आधार है ? वैज्ञानिकों के पास आपको इसका कोई जवाब नहीं मिलेगा क्योंकि Sunday, Monday आदि नाम हमारे रविवार, सोमवार के इंग्लिश अनुवाद मात्र हैं |

भारतीय ज्योतिष में वारक्रम का आधार सूर्योदय के समय पड़ने वाली होरा है, जिस दिन के सूर्योदय के समय जिस ग्रह की होरा होती है उस दिन उसी ग्रह का वार होता है | इस होराक्रम को समझे बिना वारक्रम को नहीं समझा जा सकता | होरा का क्रम जानने के लिए आपको भूकेन्द्रिय कक्षाक्रम जानना होगा |

गोल परिभाषा नामक ग्रन्थ में बताया गया है-

आवृत्तोयं क्रमाच्चन्द्र-बुध-शुक्रार्क-भूभुवाम् |

गोलैर्जिवार्कीभानाञ्च क्रमादुर्ध्वोर्ध्व संस्थितैः ||

अर्थात्- यह पृथ्वी उत्तरोत्तर क्रम से चन्द्र-बुध-शुक्र-सूर्य-मंगल-गुरु-शनि व नक्षत्र कक्षा से आवृत्त है | अर्थात् पृथ्वी के ऊपर-ऊपर उक्त क्रम से ग्रहों व नक्षत्रों की कक्षाएँ स्थित हैं |

 

भूकेन्द्रिय ग्रहकक्षाक्रम

 

Geocentric Planetory Possion
Geocentric Planetory Possion

 

होरा क्या है ?

संस्कृत के होरा शब्द का ही रुपान्तरण अंग्रेजी का hour शब्द है। एकदिन रात्रि की अहोरात्र संज्ञा है, जिसमें शुरु के अ और अन्त के त्र शब्द का लोप होने से होरा शब्द की निष्पत्ति होती है।

आद्यन्तवर्णलोपाद्धोराशास्त्रं_भवेत्यहोरात्रात् ।

                                   –सारावली,अ.२श्लो.२

अहोरात्रस्यपूर्वान्त्यलोपात्होराऽवशिष्यते ।

                           –वृ.पा.हो.शा.,अ.४श्लो.१

होरेत्यहोरात्रविकल्पमेकेवांछन्तिपूर्वापरवर्णलोपात् । 

                           –वृहज्जातकम्,अ.१श्लो.३

यह होरा शब्द दो अर्थों में प्रयुक्त होता है। एक तो फलित ज्यौतिष का वाचक होराशास्त्र के रूप में दूसरा समय के एक मानक के रूप में ।

होरेतिशास्त्रसंज्ञालग्नस्य_तथार्धराशेश्च ।

                                    –सारावली,अ.२श्लो.४

अर्थात्- होरा शब्द होराशास्त्र तथा लग्न और राशि के आधेभाग का नाम है।

राशि के आधे भाग को होरा कहते हैं,

अर्थात्- 1 राशि = 2 होरा  ।

अतः 12 राशि = 12 x 2 = 24 होरा ।

एक दिनरात में  12 राशियों का उदय होता है, अतः निश्चित है कि एक दिनरात में 24 होराएँ होती हैं।

महर्षि पराशर का प्रमाण प्रस्तुत है-

राशेरर्धंभवेद्धोराताश्चतुर्विंशति स्मृता ।

                              –वृ.पा.हो.शा.,अ.७श्लो.५

पुनश्च अग्निपुराण का भी प्रमाण देखें-

चतुर्विंशतिवेलाभिरहोरात्रं_प्रचक्षते ।

                           – अग्निपुराण,गणभेदाध्याय

अर्थात् 24 वेलाओं का एक दिनरात कहा गया है। होरा शब्द के पर्याय के रूप में वेला शब्द का भी प्रयोग किया जाता है।

अब 1 दिनरात = 24 होरा और 1 दिनरात = 60 घटी

अतः 24 होरा = 60 घटी

  • 1 होरा = 5 घटी ।

सार्धदण्ड़द्वयात्मकःकालःहोरा ।

अर्थात् 2.5 दण्ड़(घटि) का एक होरा होता है।

  • 1 घंटा = 1 होरा |

यह तो पूरी तरह से स्पष्ट है एक दिन-रात में 24 होराएँ होती हैं। जिसमें 12 होराएँ दिन में और 12 होराएँ रात्रि में उदित होती हैं। इन 24 होराओं के स्वामी भी ये सातग्रह ही होते हैं | अधोधः क्रम से ये ग्रह होरापति कहलाते हैं, अर्थात्  सबसे दूर वाले ग्रह की होरा सबसे पहले आती है, उसके बाद उससे कम दुरी वाले की और ये क्रम चलता रहता है | ज्योतिष में यह सिद्धान्त है कि जो ग्रह जितना दूर है उसका प्रकाश प्रकाश पृथ्वी पर जितना कम है उसका प्रभाव उतन ही ज्यादा तीक्ष्ण होत है | इसलिये तो नक्षत्र सबसे ज्यादा प्रभावशाली होते हैं और यही कारण है शनि सबसे तीक्ष्ण प्रभाव दिखाता है | होमियोपैथी में भी औषधी के शक्तिनिर्धारण में होमियोपैथ यही सिद्धान्त अपनाते हैं |

आपको ये भी पढना चाहिए – https://grahrasi.com/सौरमास-व-चान्द्रमास-गणना/

 

वारक्रम जानने की विधि-

 

यदि ग्रहों को पृथ्वी से दुरी के अवरोही क्रम में लिखा जाए तो होरापतियों का क्रम प्राप्त होता है | यह क्रम इस प्रकार से आता है-  शनि-गुरु-मंगल-सूर्य-शुक्र-बुध-चन्द्र |

सूर्योदय के समय जिस ग्रह की होरा होती है, उसी ग्रह के नाम पर वार का नाम रखा जाता है |

पुनः होरापतियों का क्रम आता रहता है और 25वीं होरा सूर्योदय के समय अगले ग्रह की होती है |

जैसे सोमवार को सूर्योदय के समय चन्द्रमा की होरा होगी, फिर शनि-गुरु-मंगल-सूर्य आदि ग्रहों की होरा क्रमशः आएगी | 25वें घंटे में मंगल की होरा आ जाएगी, जिस समय अगले दिन का सूर्योदय हो रहा होगा |  इसलिए उस दिन का नाम मंगलवार है |

यह क्रम श्रृष्टि के प्रारम्भ से ही अनवरत चलता आ रहा है, ब्रह्मा जी ने रविवार के दिन श्रृष्टि प्रारम्भ की थी |

कोई भी वार अपने सूर्योदय से लेकर अगले सूर्योदय से पहले तक रहा करता है | रात्री 12 बजे के बाद केवल अंग्रेजी तारीख बदलती है, वार नहीं बदलता है |

Day Chart
Day Chart

 

 

  • ग्रहकक्षाक्रम के संशय के निवारण के लिए आपको मेरे लेख भारतीय ज्योतिष में पृथ्वी स्थिर और सूर्य गतिमान कैसे ? का अध्ययन जरूर करना चाहिए |

 

पं. ब्रजेश पाठक “ज्यौतिषाचार्य”

 

 

 

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