शक सम्वत विशेष

प्रश्न:- शक सम्वत कब से और किस आधार पर बदलता है?

उत्तर:- सनातन शक संवत् चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से ही बदलता है लेकिन भारत सरकार का राष्ट्रीय शक संवत प्रतिवर्ष 22 मार्च को बदलता है।

22 मार्च से यानि आज से राष्ट्रीय शक संवत 1942 आरम्भ हो गया है। हाँलाकि भारतीय पंचांगों में यह 25 मार्च से प्रारंभ होगा।

यह संवत भारतीय गणतंत्र का अपना राष्ट्रीय संवत है। 1957 में भारत सरकार ने इसे देश के राष्ट्रीय पंचांग के रूप में मान्यता प्रदान की थी। इसीलिए राजपत्र (गजट) , आकाशवाणी और सरकारी कैलेंडरों में ग्रेगेरियन कैलेंडर के साथ इसका भी प्रयोग किया जाता है।

शक संवत को शालिवाहन संवत भी कहा जाता है और इसका आधार सौर गणना है। इसमें महीनों का नामकरण विक्रमी संवत के अनुरूप ही किया गया है , लेकिन उनके दिनों का पुनर्निर्धारण किया गया है। इसके वर्ष चान्द्र-सौर-गणना के लिए चैत्र से एवं सौर गणना के लिए मेष से आरम्भ होते थे। इसके वर्ष सामान्यतः बीते हुए हैं और सन 78 ई. के ‘वासन्तिक विषुव’ से यह आरम्भ किया गया है।

इसके प्रथम माह (चैत्र) में 30 दिन हैं, जो अंग्रेजी लीप ईयर में 31 दिन हो जाते हैं।
वैशाख, ज्येष्ठ, आषाढ़, श्रावण एवं भाद्रपद में 31-31 दिन एवं शेष 6 मास में यानी आश्विन, कार्तिक, मार्गशीर्ष, पौष, माघ तथा फाल्गुन में 30-30 दिन होते हैं।

हमारे चैत्रादि मासों के दिनांक परिवर्तनशील हैं इसलिए सरकारी कार्यों के लिए इनके दिनांक फिक्स करके इन्हें अपनाया गया है ताकि सरकारी कार्य सुचारु रूप से अनवरत चलते रहें।

– पं. ब्रजेश पाठक “ज्यौतिषाचार्य”

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