शिवरात्रि में क्या करें ?

शिवरात्रि में क्या करें ?

ईशान संहिता के अनुसार इसी शिवरात्री को करोड़ों सूर्य के समान कान्तिवाले आदिदेव शिवलिङ्ग के रूप में प्रकट हुए थे।
इसदिन व्रत रहकर रात्रिजागरण, नाम संकीर्तन, रुद्राभिषेक, शिवविवाह, शिव-पार्वती श्रृंगार आदि करना चाहिए। इस व्रत में रात्रि जागरण महत्वपूर्ण है।
शास्त्रों में शिवरात्रि की रात्रि को जागरण करने और प्रहर पूजन करने का विधान प्राप्त होता है।
शिवरात्रि को चारों प्रहर शिवपूजन करने वाले भक्त की सभी लौकिक इच्छाओं की पूर्ति भगवान करते हैं, और मृत्यु के उपरांत वह शिवसायुज्य को प्राप्त करता है।


शिवरात्रि व्रत निर्णय के सम्बन्ध जानने के लिए ये पढ़ें-

महाशिवरात्रि व्रत निर्णय

प्रश्न- शिवरात्री में चार पहर की पूजा के लिए समय गणना कैसे करे??
उत्तर- 21 फरवरी 2020 को फाल्गुन कृष्ण शिवरात्री व्रत है। इस दिन कई लोग शिवजी की प्रहर पूजा करते हैं इसे यामपूजा भी कहा जाता है । रात्रि के चारों प्रहर भगवान शिवजी का अपने कामनीय द्रव्यानुकुल पदार्थ से शिवजी का भव्य रुद्राभिषेक और पूजन किया जाता है।
अब प्रश्न है कि हम सही प्रहर की गणना कैसे करें ताकि चारों प्रहर का ससमय पूजन किया जा सके।
तो इसके लिए मैं बहुत सरल सूत्र आपको दे रहा हूँ-

1. सूर्यास्त – सूर्योदय=दिनमान
(समय 24घन्टे में लेना है।)
2. 24 घन्टे – दिनमान=रात्रिमान
3. रात्रिमान/4= प्रहर काल
4. सूर्यास्त+प्रहर काल= प्रथम प्रहर
5. प्रथम प्रहर+प्रहर काल= द्वितीय प्रहर
6. द्वितीय प्रहर+प्रहर काल= तृतीय प्रहर
7. तृतीय प्रहर+प्रहर काल= चतुर्थ प्रहर

उदाहरण-
राँची का सूर्योदय- 06:18
वाराणसी का सूर्यास्त- 17:46
सूत्रानुसार-
1. 17:46-6:18 = 11:28
2. 24:00-11:28 = 12:32
3. 12:32/4 = 3:08
4. 17:46+3:08 = 20:54 तक प्रथम प्रहर
5. 20:54+3:08 = 24:02 तक द्वितीय प्रहर
6. 24:02+3:08 = 27:10 तक तृतीय प्रहर
7. 27:10+3:08 = 30:18 तक चतुर्थ प्रहर

इस प्रकार अपने स्थान के सूर्योदय-सूर्यास्त के हिसाब से गणना कर या मोटे तौर पर राँची की गणना के आधार पर आप प्रहर पूजा कर सकते हैं।
वैसे तो सूर्योदय सूर्यास्त सभी पंचागों में दिया रहता है। बहुत सारे पंचांग ऐप भी हैं जिनसे सूर्योदय सूर्यास्त का ज्ञान हो जाता है।
फिर भी अपने स्थान का सूर्योदय जानने के लिए आप इस website का भी प्रयोग कर सकते हैं।

https://www.timeanddate.com/sun/

प्रश्न- शिवरात्री का पारण कब करें?
उत्तर- चौथे प्रहर के अन्त में, प्रहर पूजन के पश्चात् आरती करके प्रसाद ग्रहण करें,और पारण करें। अथवा प्रातः सूर्योदय के बाद पश्चात पारण करें।

प्रश्न- शिववास की गणना के अनुसार कृष्ण चतुर्दशी को शिववास श्मशान में होता है, इसका फल शास्त्रों में मृत्युतुल्य कष्ट बताया गया है, ऐसे में इस दिन रुद्राभिषेक व शिवपूजन कैसे होगा?
उत्तर- हा… हा… हा…. इस प्रश्न पर सबसे पहले मैं ये पूछना चाहूँगा कि क्या ये बात हमारे ऋषियों को पता नहीं थी??? क्या उन्होंने बिना विचारे ही शिवरात्री में चारों प्रहर के रुद्राभिषेक व पूजन का निर्देश कर दिया???
नहीं!!! शिववास का ज्ञान कराने वाले ऋषियों ने ही शिवरात्री का निर्देश किया है! यह बात ध्यान रखनी चाहिए कि शिववास सामान्य स्थिति में विशेष मुहूर्त के अभाव में देखना चाहिए। विशेष मुहूर्तों में शिववास का फल गौण हो जाता है।
शिवरात्री स्वयं में एक विशेष मुहूर्त है, इसलिए इस दिन शिववास विचार का प्रश्न ही नहीं उठता।

पं. ब्रजेश पाठक “ज्यौतिषाचार्य”
हरिहर ज्योतिर्विज्ञान संस्थान, लोहरदगा।

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