हम कभी वर्तमान नहीं देख सकते

हम कभी वर्तमान नहीं देख सकते

 

वैदिक विज्ञानियों…..
सादर अभिनन्दन _/\_
एक बार मैं ट्रेन में बैठा था,  भोपाल से जबलपूर जा रहा था। खिडकी के पास बैठकर बाहरी दुनिया और प्रकृति के स्वरूप को समझ रहा था। इसी बीच परमात्मा की अनुकम्पा से मेरा मस्तिष्क प्रकाश पर मंथन करके बहुत ही रोचक सिद्धांत की गवेषणा करता है। आप भी वो सिद्धांत जानकर चकित रह जायेंगे।
लेकिन उससे पहले आपको याद दिलाना चाहूँगा कि हमें कोई वस्तु दिखाई कैसे देती है? जब किसी वस्तु से टकरा कर प्रकाश हमारे आँखों के लेंस से परावर्तित होकर हमारे रेटिना में पहूँचती है तो वह वस्तु हमें दिखाई देने लगती है। जिन वस्तुओं से टकराने वाला प्रकाश हमारी आँखों तक नहीं पहुँचता उन्हें हम नहीं देख पाते हैं। यही कारण है कि मौजूद रहने के बाद भी हमें अपने पीछे की वस्तु तब तक दिखाई नहीं देती जब तक हम उस ओर नजर नहीं करते। यही कारण है कि प्रकाश के अभाव में आँख रहने के बाद भी हम वस्तुओं को नहीं देख पाते।

 

Eye Vision
how to see
अब मेरे दिमाग ने जिस सिद्धांत की गवेषणा की उसे बताता हूँ-

 

आप सभी जानते हैं कि प्रकाश में गति है। यह बात उपर भी बता चुके हैं।वस्तु पर प्रकाश पडते ही हम उसे नहीं देखते बल्कि प्रकाश पुनः उससे टकराकर हमारे आँखों के लेंस से परावर्तित होकर जब रेटिना में पहूँचती तब देखते हैं  ! तो इसमें कुछ न कुछ समय तो अवश्य ही लगता है ! वस्तु हमारे कितना भी पास हो, कुछ नैनो सेकेंण्ड या त्रुटि(बहुत सूक्ष्म काल परिमाण) के बाद ही हमें दिखाई देती है।
इसका मतलब ये हुआ कि हम कभी किसी भी वस्तु को वर्तमान स्थिति में नहीं देख सकते। हम हमेशा उसे भूतकाल में देखते हैं, चाहे वो भूतकाल नैनो सेकेंड का सौवाँ या हजारवाँ भाग ही क्यों न हो !

अनन्त आकाश में जो पिण्ड हमसे लाखों प्रकाश वर्ष दूर हैं पर हम उन्हें आज चमकता हुआ देख रहे हैं हो सकता है वो नष्ट हो गया हो। या जिन्हें हम आज नष्ट होता देख रहे हैं वो लाखों साल पहले ही नष्ट हो गया है।
भगवान की बनाई दुनिया कितनी अचरज भरी है। हम कभी वर्तमान नहीं देख सकते। हम कभी वर्तमान नहीं देख सकते।

  पं. ब्रजेश पाठक ज्यौतिषाचार्य

हरिहर ज्योतिर्विज्ञान संस्थान,

लोहरदगा, झारखण्ड |

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top