स्वरविज्ञान पर मेरा अनुभव-
श्वासप्रवाह को स्वर भी कहा जाता है। वाम नासा छिद्र से चलने वाला श्वास वाम स्वर और दक्षिण नासा छिद्र से चलने वाले श्वास को दक्षिण स्वर कहते हैं।
शरीर में कहीं भी किसी भी प्रकार का दर्द शुरू हो जाए या नियमत रहने वाला दर्द बढ़ जाए तो आप यह जाँच करें कि किस नासा छिद्र से श्वास चल रहा है! जिस नासा छिद्र से श्वास ज्यादा चल रहा है उसको बन्द करें और दुसरे वाले नासा छिद्र को चालू कर दें। अर्थात् यदि वाम नासा छिद्र से ज्यादा श्वास चल रहा है तो दक्षिण और दक्षिण नासा छिद्र से श्वास ज्यादा चल रहा है तो वाम को चालू कर दें।
कभी कभी दोनो नासा छिद्र से श्वास बराबर चलता है उस अवस्था में दक्षिण नासा छिद्र को चालू करना चाहिए और इस दौरान शरीर को बिल्कुल ढ़ीला छोड़ दें।
ध्यान रहे श्वास प्रवाह की सही पहचान जरूरी है। आपको यह प्रयोग ५-१० मिनट करना है। आप देखेंगे कि आपको अपेक्षित परिणाम मिल रहे हैं और आपका दर्द वो तो छु मन्तर हो गया है।
मेरा दावा है कि अपवाद और विशेष परिस्थितियों को छोड़कर यह प्रयोग किसी भी दवा से ज्यादा तेजी से अपना असर दिखाता है। १० में से ९ लोगों पर यह प्रयोग सफल होते मैनें स्वयं पाया है।
इस प्रयोग से रक्त बहना Bleeding भी रोका जा सकता है प्रयोग यही है बस bleeding रोकने के लिए दिमाग शांत करना होगा आपका दिमाग जितना शांत और एकाग्र होगा उतना ही जल्दी आप bleeding रोक सकेंगे।
किसी को यदि भूतप्रेत का दौरा हो तो भी यह प्रयोग उसका भूत उतार सकता है।
– पं. ब्रजेश पाठक “ज्यौतिषाचार्य”