मकर संक्रांति विशेष क्या करे क्या नहीं | Detail Analysis on makar Sankranti 2024

मकर संक्रांति

मित्रों सम्पूर्ण सनातन परिवार में मकर संक्रांति एक महान् पर्व के रूप में मनाया जाता है। क्योंकि आज से हमारे जगत्नियन्ता सूर्यनारायण भगवान उत्तरायण होते हैं। इस वर्ष मकर में सूर्य संक्रान्ति 14/15 जनवरी 2024 को रात्रि 2:31 में हो रहा है।1 इसलिए इस वर्ष 15 जनवरी को संक्रांतिजन्य पुण्यकाल होने से मकर संक्रांति 15 जनवरी को मनाया जाएगा

इसी क्रम में आइये जानते हैं क्या है भारतीय धर्मग्रंथों में मकर संक्रांति का महत्व और फल। सूर्य के मकर राशि में प्रवेश से ही उत्तरायण की शुरुआत होने से इसे अयन संक्रान्ति भी कहा जाता है और उत्तरायण की शुरुआत होने से ही सूर्य की बारह संक्रान्तियों में से मकर संक्रान्ति अपना विशेष महत्व रखती है। इस वर्ष मकर संक्रान्ति रात्रि के त्रितीय प्रहर में होने से नटों (नाट्य, नृत्य आदि कलाओं से आजीविका चलाने वालों) के लिए अहितकर है।

प्रथम राशि का अंत एवं दुसरी राशि का आरम्भ जिस बिंदु पर होता है, उसे राशि-सन्धि-बिन्दु कहते हैं। जब सूर्य-बिम्ब का केंद्रबिन्दु राशि-सन्धि-बिन्दु पर ठीक-ठीक मिलता है, उसी को वास्तविक संक्रान्ति काल कहते हैं, किन्तु उस काल का ज्ञान अत्यंत सूक्ष्म होने से दुर्ज्ञेय है। अतः स्थूल काल को ही ऋषियों ने संक्रान्ति काल माना है।

उस स्थूल काल के ज्ञान के लिए जब राशिसन्धि-बिन्दु में ग्रह बिम्ब की परिधि प्रविष्ट होने लगती है, उस समय से ग्रह बिम्ब जितने समय में दुसरी राशि को राशि सन्धि बिंदु से पृथक करता है, उतने काल को संक्रान्ति काल कहते हैं, इसे ही संक्रान्ति का पुण्यकाल भी कहा जाता है। पुण्यकाल में दान, जप, हवन, पुण्यकार्य, श्राद्ध आदि महान फलदायक माने गए हैं।

स्कन्दपुराण के अनुसार उत्तरायण सूर्य अर्थात मकर संक्रान्ति में गौ एवं तिल का दान करने से समस्त कार्यों की सिद्धि तथा परम सुख की प्राप्ति होती है। ऋषि भरद्वाज के अनुसार संक्रान्ति के पुण्यकाल में दान देने वाले का यश अनन्त होता है –

षडशीत्यां तु यद्दानं विषुवद्द्वितये तथा ।
दृश्यते सागरस्यान्त: तस्यांतो नैव दृश्यते ।।

वृद्धवशिष्ठ ने दानादि के सम्बन्ध में अयन संक्रान्ति में करोड़ गुना पुण्य कहा है –

अयने कोटि पुण्यं च, सहस्रं विषुवे फलम्।

सूर्य संक्रान्ति काल से पहले और बाद की 16-16 घटियों (अर्थात 6 घंटे 24 मिनट) कों मुहुर्तचिन्तामणि में पुण्यकाल माना गया है। यदि मध्यरात्री के बाद संक्रान्ति लगे तो अग्रिम दिन के पूर्वार्ध में पुण्यकाल होता है। जबकि धर्मसिन्धुकार ने दिन में मकर संक्रान्ति होने पर संक्रान्ति के बाद 40 घटी (16 घंटे) का पुण्यकाल कहा है –

दिवामकरसंक्रमे संक्रान्त्यनन्तरं चत्वारिंशन्नाड्यः पुण्याः।।

इस प्रकार इस बार मध्यरात्री के बाद संक्रान्ति होने से दिन के पूर्वार्ध में अर्थात् दोपहर तक पुण्यकाल रहेगा। फिर भी ब्रह्ममुहूर्त (05:14am) से लेकर 08:55am बजे के बीच किया गया स्नान दानादि विशेष फलदायी सिद्ध होगा।

मकर संक्रांति के दिन क्या करें ?

  1. काले तील के साथ गंगा स्नान करें। यदि संभव न हो तो जल में गंगाजल और तील मिलाकर स्नान करें।
  2. आग में तील जलाकर तापें।
  3. “ॐ घृणिः सूर्याय नमः” मन्त्र का जप करें।
  4. तीलादि का या उनसे बने खाद्यसामग्री का दान करें।
  5. भगवान् को तील तेल का दीपक दिखाएँ।
  6. मकर संक्रांति के दिन गौ दान की बहुत महिमा है।
  7. कुरथी के दाल की खिचड़ी अवश्य खाएँ एवं खिलाएँ।
  8. गौ, ब्राह्मण, तीर्थ आदि की सेवा करें।
  9. घर के बड़े बुजुर्गों को प्रणाम करें, उनकी सेवा करें, उनसे आशीर्वाद लें ।
  10. यथाशक्ति कुछ न कुछ दान अवश्य करें।

मकर संक्रांति से संबंधित कुछ प्रासंगिक प्रश्नों के उत्तर

अब आइए मकर संक्रांति से संबंधित कुछ प्रासंगिक प्रश्नों के उत्तर जानते हैं –

प्रश्न मकर संक्रांति क्या है और इसका आध्यात्मिक महत्व क्या है ?

उत्तर– सूर्य का मकर राशि में प्रवेश करना मकर संक्रांति कहलाता है। उत्तरी गोलार्द्ध (विषुवद वृत्त से उत्तर) में रहने वालों के लिए यह बहुत महत्वपूर्ण दिन होता है क्योंकि इसी दिन से उत्तरायण की शुरुआत होती है और दिनमान बढ़ने लगता है।

प्रश्न इस वर्ष कब मकर संक्रांति मनाना शास्त्रसम्मत है ?

उत्तर– 15 जनवरी को रात में 2:31am बजे सूर्य की दृक्सिद्ध निरयण मकरसंक्रांति हो रही है। यदि दिन में संक्रांति हो तो उसी दिन और यदि रात्रि में संक्रांति हो तो अगले दिन संक्रांति स्नानदानादि करना चाहिए यह शास्त्रादेश है।

यदा_तु_सूर्यास्तत्पूर्वं_संक्रान्तिर्भवति_तदोभयमते_पूर्वमेव_पुण्य_कालः।
रात्रौ_तु_प्रदोषे_निशाये_वा_मकर_संक्रमेअधिकाधिकमते_द्वितीय_दिनं_पुण्यं।।”

  • निर्णयसिन्धुः वृद्धगार्ग्यवचनम् –

यद्यस्तमयवेलायां_मकरं_याति_भास्करः।
प्रदोषे_वार्धरात्रे_वा_स्नानं_दानं_परेऽहनि ।।”

देवी पुराणोक्त और कृत्यसारसमुच्चयपरिशिष्ट में उद्धृत प्रमाण वाक्य देखें –

आदौ पुण्यं विजानीयात् यद्यभिन्ना तिथिर्भवेत् ।
अर्धरात्रेव्यतीते तु विज्ञेयमपरेऽहनि ।।

भावार्थ – जिस चान्द्र तिथि को सूर्य संक्रांति हो रही है यदि अगले दिन सूर्योदय के पश्चात् वह तिथि अल्पकाल के लिए भी प्राप्त हो जाए तो अगले दिन संक्रांति का पुण्यकाल होगा। तिथि के भिन्न होने पर पूर्व दिन ही पुण्यकाल मानना चाहिए। तिथि के भिन्न होने पर एक ही शर्त में अगले दिन पुण्यकाल माना जा सकता है यदि संक्रांति अर्धरात्री व्यतीत होने के पश्चात् हो रही हो।

सुस्पष्ट है कि सूर्य संक्रांति 15 जनवरी को मध्यरात्री के बाद 2:31am में होने से सूर्य संक्रांति का पुण्यकाल 15 जनवरी को ही प्राप्त होगा। इसलिए 15 जनवरी को ही मकर संक्रांति पर्व मनाना स्नान दान आदि करना शास्त्रसम्मत है।

प्रश्न मकर संक्रान्ति अभी प्रायः 14/15 जनवरी को होती है। क्या हमेशा से ऐसा ही है या पिछली शताब्दियों में मकर संक्रान्ति किसी अन्य तारीख़ को पड़ती थी ? 1863 ई• (स्वामी विवेकानंद का जन्मवर्ष) में मकर संक्रान्ति क्या 12 जनवरी को पड़ी थी ?

उत्तर- जी ! 12 जनवरी 1863 को रात में 7:46 मिनट में कलकत्ता में मकर संक्रान्ति हुई थी। हर चार वर्षों में फरवरी का एक दिन बढाने पर भी कुछ समय शेष रह जाता है, जिसकी भरपाई करने का कोई रास्ता अंग्रेजों ने वहीं निकाला है, इसलिए कुछ शताब्दियों में सूर्य संक्रांति के अंग्रेजी दिनांक 1-2 दिन आगे खिसक जाते हैं।

प्रश्नसभी पर्व हम पर्व तिथि अनुसार मनाते है परंतु मकर संक्रांति हर साल 15 जनवरी को मना रहे हैं, कुछ एकाध वर्ष को छोड कर। ऐसा क्या कारण है कि हम मकर संक्रांति को 15 जनवरी को ही मना रहे हैं। यह पर्व पर तिथि अनुसार क्यों नही मनाया जाता ?

उत्तर- ऐसा नहीं है कि केवल मकर संक्रान्ति के दिन प्रतिवर्ष 14 या 15 जनवरी पडती है। यदि आपको ध्यान हो तो विश्वकर्मा पूजन के दिन भी प्रतिवर्ष 17 सितम्बर पडता है।

हमारे पर्व त्यौहार कब मनाए जाते हैं इसकी मार्मिक परिभाषा को जानिए। हमारे पर्व त्योहार सूर्य परिष्कृत चान्द्र दिनों में अर्थात् तिथियों में मनाए जाते हैं। तिथि का अर्थ होता है चान्द्र दिन। संक्रांति का अर्थ होता है संक्रमण करना, प्रविष्ट करना, प्रभावित करना आदि। सूर्य मकर राशि में जिस दिन प्रवेश करता है उस दिन 14 या 15 जनवरी होती है। सूर्य कि अपनी गति ऐसी है कि वो निश्चित समय में सभी राशियों में गोचर करता है।

ठीक 30/31 दिनों में वह अगली अगली राशियों में प्रवेश करता है। अंग्रेजी दिनांक सौर वर्ष को ही आधार कर के बनाए गए हैं। यही कारण है कि सूर्य के बारह राशियों में गोचर का जो अंग्रेजी दिनांक है वह प्रतिवर्ष समान (ज्यादा से ज्यादा १ दिन का अन्तर आ सकता है) रहता है। इसलिए खरमास भी प्रतिवर्ष सामान अंग्रेजी दिनांक पर पड़ते हैं।

इसलिए मैं जन्मदिन भी लोगों को अपने अंग्रेजी दिनांक पर ही मनाने की सलाह देता हूँ। सूर्य बारह राशियों में संक्रान्ति करता है, फिर भी मकर संक्रांति का महत्व सबसे ज्यादा इसलिए है क्योंकि यहीं से उत्तरायण की शुरुआत होती है। हम सभी देवोपासक हैं और उत्तरायण को देवताओं का दिन भी कहा गया है।

विशेष व्यत्पत्ति के लिए पढें मेरा लेख – https://grahrasi.com/hindu-festivals-as-per-english-calendar

प्रश्नसूर्य कब तक मकर राशि में रहता है। इसके उपरान्त कब और किस राशि में प्रवेश करेगा ? पूरे साल सूर्य कबकब किस राशि में रहता है ?

उत्तर- सूर्य 13 फरवरी तक मकर राशि में रहते हैं। सूर्य की निरयण मेष संक्रान्ति 14 अप्रैल के आस पास होती है। फिर 30 या 31 दिनों के अन्तराल से क्रमशः वृष, मिथुन, कर्क, सिंह, कन्या, तुला, वृश्चिक, धनु, मकर, कुम्भ और मीन राशियों में सूर्य प्रवेश करते हैं।

विशेष व्यत्पत्ति के लिए पढें मेरा लेख –

खरमास रहस्य – https://grahrasi.com/kharmas/

प्रश्न – 15 जनवरी को तो खरमास समाप्त हो जाएगा अब तो हम सरे शुभ कार्य 15 जनवरी से शुरू कर सकते हैं न ?

उत्तर – भगवान सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करते ही खरमास की समाप्ति हो जाती है। परन्तु इसका यह मतलब कतई नहीं कि आप 15 जनवरी से अपने सारे शुभकर्म (कर्म विशेष) करना शुरू कर दें। आपके शुभकर्म (कर्म विशेष) 18 जनवरी से शुरू हों तो ज्यादा अच्छा है। क्योंकि शास्र का निर्देश है कि किसी भी संक्रान्ति के पहले और बाद के तीन-तीन दिन शुभकर्मों में त्याग देने चाहिए।

आजकल सोशल मिड़िया पर मकर संक्रांति संबंधी गलत पोस्ट बहुत प्रसारित हो रहे हैं, मेरे कई परिचितों ने मुझे पोस्ट भेज कर उसकी सत्यता परीक्षण करने को कहा। आज आप सबों के लिए उस पोस्ट में प्रचारित भ्रामक जानकारियों का खण्ड़न भी लेकर आया हूँ, यह खंडन आप स्वयं भी पढ़ें तथा अन्यों को भी पढ़ाएँ और अधिकाधिक शेयर करें।

मकर संक्राति से संबंधित भ्रामक पोस्ट का खण्ड़न

गलत_जानकारी2008 से 2080 तक मकर संक्रांति 15 जनवरी को होगी।

खण्ड़न यह बात सरासर गलत है, क्योंकि वर्ष 2017 में ही हम सब ने मकर संक्रांति 14 जनवरी को मनाई थी वर्ष 2021 में भी मकर संक्रान्ति 14 जनवरी को मनाई गई और वर्ष 2022 में भी हमलोग मकर संक्रांति 14 जनवरी को ही मना रहे हैं तथा 2023 में 15 जनवरी को मकर संक्रांति मनाई गई और 2024 में भी मकर संक्रांति 15 जनवरी को मनाई जा रही है।

गलत_जानकारी – विगत 72 वर्षों से यानि 1935 से मकर संक्रांति 14 जनवरी को पड़ती रही है।

खण्ड़न ये भी बरगलाने वाली बात है, क्योंकि 1935 से पहले भी मकर संक्रांति 14 जनवरी को पड़ती थी। ज्यादा दूर नहीं तो 1934 को ही देख लीजिए उस वर्ष मकर संक्रांति 14 जनवरी को मनाई गई थी।

गलत_जानकारी – 2081 से आगे 72 वर्षों तक अर्थात 2153 तक यह 16 जनवरी को रहेगी।

खण्ड़न पूर्वोक्त बातों के खण्ड़न से ही इसका भी खण्ड़न हो जाता है, क्योंकि ज्योतिष में मकर संक्रांति के लिए 72 वर्षों का कोई चक्र है ही नहीं।

गलत_जानकारी- आदरणीय, कल समाचार पत्रों मे यह छपा था कि प्रत्येक ५६ वर्ष के अंतर से मकर संक्रांति काल में एक दिन का अंतर होता है। आगे ५६ वर्ष के बाद यह १६ जनवरी हो जाएगा। यह क्या मामला है ?

खण्डन समाचार पत्रों में प्रकाशित हर जानकारी सत्य और सही होती है ऐसी बात तो है नहीं। 56 वर्षों के चक्र से संबंधित जानकारी भी असत्य है। इस बात का खण्डन ऊपर लिख ही चुका हूँ पुनः आप स्वयं देखिए 2021 में 2022 में 14 जनवरी को मकर संक्रांति मनाई गई और 2023 में 15 जनवरी को मनाई गई और 2024 में भी 15 जनवरी को मकर संक्रांति मनाई जा रही है। इससे स्पष्ट है कि 56 वर्षों के चक्र की संकल्पना निराधार और कल्पित है।

गलत_जानकारी- सूर्य का धनु से मकर राशि में संक्रमण प्रति वर्ष लगभग 20 मिनिट विलम्ब से होता है। स्थूल गणना के आधार पर तीन वर्षों में यह अंतर एक घंटे का तथा 72 वर्षो में पूरे 24 घंटे का हो जाता है। यही कारण है कि अंग्रेजी तारीखों के मान से मकर-संक्रांति का पर्व 72 वषों के अंतराल के बाद एक तारीख आगे बढ़ता रहता है।

खण्ड़न ये जानकारी सरासर गलत है, क्योंकि वर्ष 2019 में मकर संक्रांति 14 जनवरी को रात्रि 19:50 बजे हुई थी। लेकिन वर्ष 2020 में मकर संक्रांति 15 जनवरी को रात्रि 02:06 बजे हुई है। वर्ष 2021 में मकर संक्रांति 14 जनवरी को सुबह 8:24 बजे हुई है, जबकि 2024 में 15 जनवरी को रात्रि 02:31 बजे हो रही है।

भ्रामक_पोस्ट – मकर संक्रांति के दिन सूर्य का उदय होते दिखाई न देना चाहे जो भी कारण हो बदली या मौसम या बारिश के कारण हो तो ,ये क़्या अशुभ है ?

खण्डन- मेरे जानते तो ऐसा नहीं है, क्योंकि इस तरह का कोई शास्त्रीय प्रमाण वाक्य मुझे आज तक प्राप्त नहीं हुए हैं।

आप सभी को हरिहर ज्योतिर्विज्ञान संस्थान की ओर से और मेरी ओर से भी मकर संक्रांति पर्व की हार्दिक हार्दिक शुभकामनाएँ। भगवान सूर्यनारायण आपको सपरिवार सदा प्रसन्न रखें। आपका यह मकर संक्रांति विशेष यादगार साबित हो।

लेखक:
-पं. ब्रजेश पाठक “ज्यौतिषाचार्य”
हरिहर ज्योतिर्विज्ञान संस्थान

मो.- 9341014225.

Fb- @grahrashi.
1 जगन्नाथ पंचांग पृ.59, प्रो.मदनमोहन पाठक, वेदानन्दाश्रम गोमतिनगर लखनऊ

3 thoughts on “मकर संक्रांति विशेष क्या करे क्या नहीं | Detail Analysis on makar Sankranti 2024”

  1. शास्त्र से संबंधित सही और सटीक जानकारी देने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद

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