हमारे उत्सव अंग्रेजी दिनांक से क्यों मनाए जाते हैं ?

प्रश्न – आचार्य जी एक प्रश्न है समाधान करें। विश्व कर्मा पूजा १७ तारिक को ही क्यों आते है अन्य उत्सव आदि ऐसे देखा नही जाता। कृपया शंका समाधान करें।

उत्तर – कालमान 9 प्रकार के होते हैं। उसमें से सूर्य पर आधारित मान सौरमान कहा जाता है। यह सौरमान लगभग स्थिरगति से चलने वाला होता है। इसलिए राजकाज इसके अनुसार चलाना सरल होता है। भारत में भी राजकाज हेतु सौरमान पर आधारित शक संवत स्वीकृत है, ये अलग बात है कि लोग इसका प्रयोग नहीं करते सरकार भी इसके प्रयोग पर जोर नहीं डालती।

नेपाल में यह बहुधा प्रयोग होता है। इसी सौरमान के आधार पर अंग्रेजी मास तैयार किए गए हैं जिसके कारण यह परस्पर मैच कर जाते हैं और जनसाधारण को लगता है कि अंग्रेजी डेट में ये त्यौहार क्यों आता है ?

मकर संक्रान्ति जब सूर्य मकर राशि के 0 अंश पर होगा तब मनाया जाता है, अब चूँकि सौरमान बहुधा स्थिर है और अंग्रेजी मास सौरमान पर ही आधारित है इसलिए उस 14 या 15 जनवरी होती है। मकर राशि के शून्य अंश पर सूर्य जिस दिन होता है उस दिन मकर संक्रान्ति मनाते हैं 14 जनवरी है इसलिए मकर संक्रान्ति नहीं मनाते।

इसी प्रकार सूर्य से संबंधित आप किसी भी त्यौहार को देख लीजिए, अंग्रेजी मास सौरमान की नकल से बने होने के कारण और सूर्य की गति बहुधा स्थिर होने के कारण सौरमान पर आधारित पर्व त्यौहारों के अंग्रेजी दिनांक प्रतिवर्ष एक ही रहते हैं।

उदाहरण के लिए –

  • मकर संक्रान्ति (निरयण सूर्य के मकर राशि के शून्य अंश में आने पर मनाया जाने वाला पर्व) – 14 जनवरी
  • मीनार्क / खरमास (निरयण सूर्य के मीन राशि के शून्य अंश में आने पर प्रारम्भ होने वाला पर्व) – 14 मार्च
  • वसंत संपात दिवस (सायन सूर्य के मेष राशि के शून्य अंश में आने पर मनाया जाने वाला पर्व) – 21 मार्च
  • वैशाखी (निरयण सूर्य के मेष राशि के शून्य अंश में आने पर मनाया जाने वाला पर्व) – 14 अप्रैल
  • दक्षिणायनारम्भ (निरयण सूर्य के कर्क राशि के शून्य अंश में आने पर प्रारम्भ होने वाला पर्व) – 16 जुलाई
  • विश्वकर्मा पूजन (निरयण सूर्य के कन्या राशि के शून्य अंश में आने पर मनाया जाने वाला पर्व) – 17 सितम्बर
  • शरद संपात दिवस (सायन सूर्य के तुला राशि के शून्य अंश में आने पर मनाया जाने वाला पर्व) – 23 सितंबर
  • धनुर्मास/ खरमास (निरयण सूर्य के धनु राशि के शून्य अंश में आने पर आरम्भ होने वाला पर्व) – 16 दिसम्बर

ऐसे और भी कई उदाहरण मिलेंगे। ये कुछ उदाहरण आपके समझने के लिए मैंने प्रस्तुत किए हैं। आशा है बात स्पष्ट हो गई होगी।

ब्रजेश पाठक ज्यौतिषाचार्य

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