BIRTH TIME RECTIFICATION

जन्मसमय संशोधन | Birth-time Rectification

जन्म समय संशोधन को ही Birth Time Rectification कहा जाता है। इसमें जातक के जन्मसमय का पता लगाते हैं। जिस जातक को अपना जन्मसमय पता हो लेकिन उस समय में कुछ घंटे मिनटादि के फर्क होने का सन्देह हो, वे जातक इस सेवा का लाभ ले सकते हैं। जिन्हें समय जन्म समय का पता ही नहीं है, कोई अन्दाजा नहीं है, उनके भी जन्मसमय का पता लगा सकते हैं लेकिन वो अत्यंत दुरूह कार्य होता है। इसलिए साधारणतया इस गणना को हमलोग जल्दी स्वीकार नहीं करते।

जन्मसमय संशोधन करने की हमारी प्रक्रिया निम्नलिखित है –

  • सर्वप्रथम तो यह कार्य दुरूह होने के कारण जातक से एक माह का समय लिया जाता है।
  • फिर उनके पास जन्म संबंधी जो विवरण उपलब्ध होते हैं वो लिया जाता है।
  • साथ ही विभिन्न आयु अन्तराल में लिए गए फोटोज ली जाती हैं। साथ में दाहिने हाथ के अंगूठे की फोटो ली जाती है।
  • फिर जीवन में घटी महत्वपूर्ण घटनाओं का व्यौरा डेट वाइज लिया जाता है।
  • फिर इस सेवा के लिए निर्धारित शुल्क प्रेषित किए जाने के पश्चात् कार्य प्रारम्भ किया जाता है।
  • जन्म समय का संशोधन करने के लिए संभावित जन्मकाल के दौरान बनने वाली सभी कुंडलियों का निर्माण करते हैं।
  • जिन्हे उनके अंग लक्षण और जीवन में घटी घटनाओं के आधार पर क्रमशः बहुत सूक्ष्मता और पूरी सावधानी के साथ मिलान करते हैं।
  • कुछ ज्योतिषीय गणनाएँ भी हैं जो संभावना व्यक्त करती हैं, कि इस इस समय जातक का जन्म हो सकता है।
  • प्रथम स्तर पर तो उस उस समय की कुंडली बनाकर पहले अंगलक्षणों को बारीकि से मिलान करते हैं और व्यक्ति के शारीरिक विकास का अध्ययन करते हैं। जिसके लिए जातक के दाहिने हाथ के अंगूठे की फोटो ली जाती है और जातक के विभिन्न वय (उम्र या अवस्था) की फोटो ली जाती है। जातक की लम्बाई ली जाती है और शारीरिक वर्ण मिलाई जाती है।
  • फिर द्वितीय स्तर पर जातक के स्वभाव से मिलान करते हैं। जातक से बात करके उसके स्वभाव को परखा जाता है और मिलान किया जाता है। संशय की स्थिति में जातक के परिजनों से उसके स्वभाव के बारे में ठीक प्रकार से डाटा संग्रह करके उसको मिलाया जाता है।
  • फिर तृतीय स्तर पर शरीर में तिल या चोट के निशान को मिलाया जाता है। शरीर के किस अंग में रोग हो सकता है ये फलादेश करके उसको मिलाया जाता है। शरीर की वात पित्त कफ आदि प्रकृति का मिलान किया जाता है।
  • फिर चतुर्थ स्तर पर जातक के जीवन में घटी घटनाएँ मिलाते हैं। इसके अन्तर्गत डेट बाई डेट दशा-अन्तर्दशा-प्रत्यन्तर्दशा और गोचर के आधार पर जातक के जीवन में घटी घटनाओं को सूक्ष्मता से मिलान करके संशोधन किया जाता है।
  • फिर पाँचवे स्तर पर वियोनी जन्म और जन्मकाल से संबंधित विभिन्न योगों का जातक के जन्म के बाद एक वर्ष के अन्दर घटी घटनाओं का पूरा मिलान करते हैं।
  • इस प्रकार सभी स्तरों पर जो कुंडली अनुकूल परिणाम देती हैं, उसके समय को षष्ट्यंश से शोधित करते हैं और जन्म समय सुनिश्चित करते हैं।
  • जन्मसमय सुनिश्चित् होने के बाद पुनः दो बार सारी प्रक्रिया शुरु से अन्त तक दोहराई जाती है। दृढ़ता पूर्वक समय का निश्चय हो जाने पर प्रश्नकर्ता के जन्मसमय की घोषणा की जाती है।

हमारे हरिहर ज्योतिर्विज्ञान संस्थान से सैकडों लोगों ने जन्मसमय का संशोधन कराया है और बेहतर परिणाम प्राप्त किए हैं। यदि वे लोग यह पोस्ट पढ रहे हों तो अपने अनुभव अवश्य साझा करें।

© ज्यौतिषाचार्य पं. ब्रजेश पाठक – Gold Medalist

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