नक्षत्रों द्वारा खोई वस्तु का पता लगाएँ !

नक्षत्रों की सहायता से खोई हुई वस्तु का पता लगाएँ नष्टवस्तु परिज्ञान की यह अद्भुद विधि मुहूर्त चिंतामणी नामक ग्रन्थ के नक्षत्र प्रकरण में दी गई है ! सात-सात नक्षत्रों के चार समूह में 28 नक्षत्रों को बाँटकर इन्हे अंध, मन्द, मध्य, और सुलोचन संज्ञा देते हैं। फिर इसी के अनुरुप खोई हुई वस्तु के […]

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शिवरात्रि में क्या करें ?

शिवरात्रि में क्या करें ? ईशान संहिता के अनुसार इसी शिवरात्री को करोड़ों सूर्य के समान कान्तिवाले आदिदेव शिवलिङ्ग के रूप में प्रकट हुए थे। इसदिन व्रत रहकर रात्रिजागरण, नाम संकीर्तन, रुद्राभिषेक, शिवविवाह, शिव-पार्वती श्रृंगार आदि करना चाहिए। इस व्रत में रात्रि जागरण महत्वपूर्ण है। शास्त्रों में शिवरात्रि की रात्रि को जागरण करने और प्रहर

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महाशिवरात्रि व्रत निर्णय

महाशिवरात्रि व्रत निर्णय देवदेव! महादेव! नीलकण्ठ! नमोऽस्तुते, कर्तुमिच्छाम्यहम् देव शिवरात्रि व्रतं तव । तवप्रसादाद्देवेश निर्विघ्नेन भवेदिति, कामाद्या शत्रवो माम् वै पीड़ां कुर्वन्तु नैव हि।। अर्थात्- देवदेव! महादेव! नीलकण्ठ आपको नमस्कार है। मैं आपके शिवरात्रि व्रत का अनुष्ठान करना चाहता हूँ। देवेश्वर आपका यह व्रत बिना किसी विघ्न बाधा के पूर्ण हो, और काम क्रोध आदि

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महाकाल भैरव क्षेत्रपाल स्तोत्र

।महाकालभैरव क्षेत्रपाल स्तोत्रम्। ॐ यम् यम् यम् यक्षरूपम् दशदिशि विदितम् भूमि कम्पायमानम् सम् सम् संहारमूर्तिम् शिरमुकुट जटाशेखरम् चन्द्रबिम्बम् दम् दम् दम् दीर्घकायम् विकृतनखमुखम् चोर्ध्वरोमम् करालम् पम् पम् पम् पाप नाशम्,प्रणमत सततम् भैरवम् क्षेत्रपालम् ।। रम् रम् रम् रक्तवर्णम् कटिकटित तनुम् तीक्ष्णदन्ष्ट्रा करालम् घम् घम् घम् घोषघोषम् घघघघ घटितम् घर्जरम् घोरनादम् कम् कम् कम् कालपाशम् धिग

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व्याघ्रनख- सप्रयोग धारणविधि

व्याघ्रनख- सप्रयोग धारणविधि व्याघ्रनख का तंत्र ग्रन्थों में बहुत विशद् व्यापक वर्णन किया गया है। आइए आज इसके कुछ महत्वपूर्ण प्रयोगों के बारे में जानते हैं। *व्याघ्रनख के प्रयोग* :- 1. व्याघ्रनख धारण करने से शरीर में “वात” का संतुलन ठीक बना रहता है। 2. यदि बालक बार-बार रात को सोते हुए ड़रता हो तो

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व्याघ्रनख- सप्रयोग धारणविधि

व्याघ्रनख- सप्रयोग धारणविधि व्याघ्रनख का तंत्र ग्रन्थों में बहुत विशद् व्यापक वर्णन किया गया है। आइए आज इसके कुछ महत्वपूर्ण प्रयोगों के बारे में जानते हैं। *व्याघ्रनख के प्रयोग* :- 1. व्याघ्रनख धारण करने से शरीर में “वात” का संतुलन ठीक बना रहता है। 2. यदि बालक बार-बार रात को सोते हुए ड़रता हो तो

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संवत्सर मीमांसा

संवत्सर मीमांसा संवत्सर शब्द वैसे तो आपके लिए जाना पहचाना शब्द है। पर इसकी गुत्थी उतनी भी आसान नहीं है जितना सबलोग समझते हैं । जब हम संवत्सर पर विचार करना शुरु करते हैं तो अनेकों प्रश्न धावा बोल देते हैं जिनका सही उत्तर जल्दी प्राप्त नहीं होता। मुझसे भी कई बार इस पर अनेक

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संवत्सर मीमांसा

संवत्सर मीमांसा संवत्सर शब्द वैसे तो आपके लिए जाना पहचाना शब्द है। पर इसकी गुत्थी उतनी भी आसान नहीं है जितना सबलोग समझते हैं । जब हम संवत्सर पर विचार करना शुरु करते हैं तो अनेकों प्रश्न धावा बोल देते हैं जिनका सही उत्तर जल्दी प्राप्त नहीं होता। मुझसे भी कई बार इस पर अनेक

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संवत्सर मीमांसा

संवत्सर मीमांसा संवत्सर शब्द वैसे तो आपके लिए जाना पहचाना शब्द है। पर इसकी गुत्थी उतनी भी आसान नहीं है जितना सबलोग समझते हैं । जब हम संवत्सर पर विचार करना शुरु करते हैं तो अनेकों प्रश्न धावा बोल देते हैं जिनका सही उत्तर जल्दी प्राप्त नहीं होता। मुझसे भी कई बार इस पर अनेक

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क्या ब्राह्मण फैलाता है अन्धविश्वास ?

पुजारी नहीं चाहता है कि आप अंधविश्वास में पड़े रहें ! पुजारी कभी नहीं चाहता की आप अन्धविश्वास में डूबे रहें। वो चाहता है कि आपके घर में शादी हो, पुत्रजन्मोत्सव हो, आपकी नौकरी लगे आपका व्यवसाय अच्छा हो, आप स्वस्थ रहें, आप सुखी रहें……..। ब्राह्मणों का इतिहास लालची, धनासक्त, लूटेरा कभी नहीं रहा आगे

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