गृहक्लेश का निवारण

कुछ दिन पहले किसी जिज्ञासु ने पूछा था आज कल गृहक्लेश बढ़ता जा रहा है। लोग इसका उपाय पूछते हैं। इसका प्रभावशाली शास्त्रीय उपाय क्या है? मित्रों, गृहक्लेश का कारण हमारे छः आतंरिक शत्रुओं का अनियन्त्रित होना है। ये छः आभ्यन्तर शत्रु या विकार हैं- 1.काम 2. क्रोध 3. लोभ 4. मोह 5. मद और […]

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प्रचलित संगीतमय कर्मकांड पर विशद विवेचन

संसार की उत्पत्ति नाद से मानी गयी है। प्रणव ही बीज है तथा प्रणव ही निःशेष है। ओमित्येकाक्षरं ब्रह्म… ॐकार का नाद ही ब्रह्म का नाद है। यह नाद ही कालांतर में संगीत का आधार बना। स्वयं भगवान ब्रह्मदेव, नटराज एवं देवर्षि नारद आदि ने इसका प्रसारण किया। प्रजापति ब्रह्मा ने छंदों की रचना करके

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संगीतमय कर्मकांड अशास्त्रीय हैं

कुछ समय पहले किसी मित्र ने निम्नलिखित संदेश भेजा था- जय श्री राम जी।आजकल कर्म कांड में बड़ी विकृति कर दी इन लोगो ने जैसे musical फेरे तथा कर्म के बीच में गाना बजाना इसके खंडन पर भी अपना एक लेख प्रेषित करे शास्त्रीय दृष्टि से। एक दूसरे मित्र का संदेश आया था मेरे  साथ

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वक्री ग्रह रहस्य

प्रश्न:- नीच का व्रकी उच्च का फल देता है,यदि ग्रह लग्न मे नीच और नवांश मे उच्च हो तो प्रभाव किसका होगा? लग्न का या नवांश का। उत्तर:–आपने एक साथ दो प्रश्न पूछा है! प्रश्न 1.- नीच का वक्री ग्रह उच्च का फल देता है? प्रश्न 2.- ग्रह लग्न में नीच और नवमांश में उच्च

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बुद्धि के भेद

अक्सर देखा जाता है कि व्यवहार में लोग धी, बुद्धि, स्मृति, मेधा, मति, प्रज्ञा आदि शब्दों को समानार्थी समझते हुए प्रयोग करते हैं। पर वस्तुतः ये समानार्थी लगने वाले शब्द विशेष परिभाषाओं को धारण करते हैं। आइए इनको समझें। धी- धी: बुद्धि: वस्तुग्रहणशक्ति:। उपदिष्टग्रहणे शक्ति: धी:। अर्थात्- बुद्धि शब्द धी का वाचक है। धी का

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बुद्धि के भेद

अक्सर देखा जाता है कि व्यवहार में लोग धी, बुद्धि, स्मृति, मेधा, मति, प्रज्ञा आदि शब्दों को समानार्थी समझते हुए प्रयोग करते हैं। पर वस्तुतः ये समानार्थी लगने वाले शब्द विशेष परिभाषाओं को धारण करते हैं। आइए इनको समझें। धी- धी: बुद्धि: वस्तुग्रहणशक्ति:। उपदिष्टग्रहणे शक्ति: धी:। अर्थात्- बुद्धि शब्द धी का वाचक है। धी का

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‘ज्ञ’ का उच्चारण स्थान

ज्ञ’ वर्ण के उच्चारण पर शास्त्रीय दृष्टि- संस्कृत भाषा मेँ उच्चारण की शुद्धता का अत्यधिक महत्त्व है। शिक्षा व व्याकरण के ग्रंथोँ मेँ प्रत्येक वर्ण के उच्चारण स्थान और ध्वनि परिवर्तन के आगमलोपादि नियमोँ की विस्तार से चर्चा है। फिर भी “ज्ञ” के उच्चारण पर समाज मेँ बडी भ्रांति है। और जब सनातन वैदिक हिँदू

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सपात दोष तथा ग्रहण दोष

चन्द्र+राहु/केतु हो और शराभाव हो तो इसको चन्द्रग्रहण दुर्योग और सूर्य+राहु/केतु हो और शराभाव हो तो इसको सूर्यग्रहण दुर्योग कहा जाता है। लेकिन यदि केवल चन्द्र+राहु/केतु हो इसे सपात चन्द्रदोष कहा जाता है। केवल सूर्य+राहु/केतु हो तो इसे सपात सूर्य दोष कहा जाता है। ग्रहण दोष ज्यादा खतरनाक दुष्प्रभाव रखता है जबकि सपात दोष ग्रहण दोष की अपेक्षा कम हानिकर होता

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Is exalted Jupiter in seventh house bad for marriage being a functional malefic for a Capricorn lagna native ?

Is exalted Jupiter in seventh house bad for marriage being a functional malefic for a Capricorn lagna native ? उत्तर– देखिए, आपके प्रश्न के अनुसार मकर लग्न के सन्दर्भ में यहाँ पर फलित ज्योतिष् के मुख्यतः पाँच प्रधान निर्णायक नियम उपस्थित हो रहे हैं। 1. द्वादशेश का सप्तम भाव में होना- ज्योतिष् का सामान्य सिद्धांत है

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जातक का पंचमेश नीच होने के बावजूद जातक बुद्धिमान कैसे ?

आज एक जिज्ञासु ने ये प्रश्न भेजा है आइए इसका उत्तर देख लेते हैं। हाँलाकि इस तरह के और प्रश्न पहले भी आ चुके हैं और मैंने उनका उत्तर अपने पेज पर प्रकाशित किया है। फिर सवाल जब-जब जवाब तब-तब की तर्ज पर इसका उत्तर दे रहा हूँ। इस तरह की समस्या ज्योतिष में तब

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