स्वरविज्ञान पर मेरा अनुभव

स्वरविज्ञान पर मेरा अनुभव- श्वासप्रवाह को स्वर भी कहा जाता है। वाम नासा छिद्र से चलने वाला श्वास वाम स्वर और दक्षिण नासा छिद्र से चलने वाले श्वास को दक्षिण स्वर कहते हैं। शरीर में कहीं भी किसी भी प्रकार का दर्द शुरू हो जाए या नियमत रहने वाला दर्द बढ़ जाए तो आप यह […]

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सपात दोष तथा ग्रहण दोष

सपात दोष तथा ग्रहण दोष चन्द्र+राहु/केतु हो और शराभाव हो तो इसको चन्द्रग्रहण दुर्योग और सूर्य+राहु/केतु हो और शराभाव हो तो इसको सूर्यग्रहण दुर्योग कहा जाता है। लेकिन यदि केवल चन्द्र+राहु/केतु हो इसे सपात चन्द्र दोष कहा जाता है। केवल सूर्य+राहु/केतु हो तो इसे सपात सूर्य दोष कहा जाता है। ग्रहण दोष ज्यादा खतरनाक दुष्प्रभाव

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वन्यजीव दिवस पर व्याख्यान

भारत सरकार के “विज्ञान प्रसार नेटवर्क” से संबद्ध संस्था “भास्कर एस्ट्रो एसोसिएशन” द्वारा लोहरदगा जिले शिक्षा निकेतन पब्लिक स्कूल, बेटहट में मनाया गया वन्यजीव दिवस कार्यक्रम! जिसमें विद्यार्थियों को विभिन्न विद्वानों के द्वारा वन्यजीव, पारिस्थितिकी तंत्र व खाद्य श्रृंखला के संबंध में जानकारी दी गई और वन्य जीव के रक्षण के बारे में भी बताया

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होलाष्टक में क्या करें क्या नहीं?

होलाष्टक विचार इस वर्ष 2 मार्च 2020 से होलाष्टक का आरम्भ हो रहा है । यह होली के आठ दिन पहले से शुरू हो कर होली तक रहने वाला एक अशुभ मुहूर्त है । शुक्लाष्टमीसमारभ्य फाल्गुनस्य दिनाष्टकम्।    पूर्णिमावधिकं व्याज्यं होलाष्टकमिदं शुभे।। (शीघ्रबोध श्लोक सं. 137) अर्थात्- फाल्गुन शुक्ल अष्टमी से आरम्भ करके फाल्गुन पूर्णिमा तक

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होलाष्टक में क्या करें क्या नहीं?

होलाष्टक विचार इस वर्ष 2 मार्च 2020 से होलाष्टक का आरम्भ हो रहा है । यह होली के आठ दिन पहले से शुरू हो कर होली तक रहने वाला एक अशुभ मुहूर्त है । शुक्लाष्टमीसमारभ्य फाल्गुनस्य दिनाष्टकम्।    पूर्णिमावधिकं व्याज्यं होलाष्टकमिदं शुभे।। (शीघ्रबोध श्लोक सं. 137) अर्थात्- फाल्गुन शुक्ल अष्टमी से आरम्भ करके फाल्गुन पूर्णिमा तक

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मातृभाषा दिवस

भास्कर एस्ट्रो एसोसिएशन ने मनाया मातृभाषा दिवस भारत सरकार के विज्ञान प्रसार नेटवर्क से संबद्ध संस्था “भास्कर एस्ट्रो एसोसिएशन लोहरदगा” के द्वारा 21 फरवरी को “लोहरदगा ग्राम स्वराज संस्थान” के सभागार में मातृभाषा दिवस मनाया गया। जिसमें “मातृभाषा एवं विज्ञान” विषय पर संगोष्ठी तथा निबंध लेखन प्रतियोगिता आयोजित की गई। कार्यक्रम की अध्यक्षता “लोहरदगा ग्राम

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अष्टम भाव के चन्द्रमा का फल

फलित सूत्र मृत्यु भावगत चन्द्रमा का फल – चंद्रमा के आठवें भाव में होने से आयु हानि होती है, और ऐसा चंद्रमा ज्यादातर धन व्यर्थ कार्यों एवं बीमारी में खर्च कराता है। अष्टमस्थ चंद्रमा का फल भट्टनारायण विरचित चमत्कार चिन्तामणि नामक ग्रन्थ में इस प्रकार दिया गया है- सभाविद्यतेभैषजीतस्यगेहे पचेत्कर्हिचित्क्वाथमुद्गोदकानि | महाव्याधयोभीतयोवारिभूताः शशीक्लेशकृत्संकटान्यष्टमस्थः || अर्थात्-

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अष्टम भाव के चन्द्रमा का फल

फलित सूत्र मृत्यु भावगत चन्द्रमा का फल – चंद्रमा के आठवें भाव में होने से आयु हानि होती है, और ऐसा चंद्रमा ज्यादातर धन व्यर्थ कार्यों एवं बीमारी में खर्च कराता है। अष्टमस्थ चंद्रमा का फल भट्टनारायण विरचित चमत्कार चिन्तामणि नामक ग्रन्थ में इस प्रकार दिया गया है- सभाविद्यतेभैषजीतस्यगेहे पचेत्कर्हिचित्क्वाथमुद्गोदकानि | महाव्याधयोभीतयोवारिभूताः शशीक्लेशकृत्संकटान्यष्टमस्थः || अर्थात्-

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अष्टम भाव के चन्द्रमा का फल

फलित सूत्र मृत्यु भावगत चन्द्रमा का फल – चंद्रमा के आठवें भाव में होने से आयु हानि होती है, और ऐसा चंद्रमा ज्यादातर धन व्यर्थ कार्यों एवं बीमारी में खर्च कराता है। अष्टमस्थ चंद्रमा का फल भट्टनारायण विरचित चमत्कार चिन्तामणि नामक ग्रन्थ में इस प्रकार दिया गया है- सभाविद्यतेभैषजीतस्यगेहे पचेत्कर्हिचित्क्वाथमुद्गोदकानि | महाव्याधयोभीतयोवारिभूताः शशीक्लेशकृत्संकटान्यष्टमस्थः || अर्थात्-

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अष्टम भाव के चन्द्रमा का फल

फलित सूत्र मृत्यु भावगत चन्द्रमा का फल – चंद्रमा के आठवें भाव में होने से आयु हानि होती है, और ऐसा चंद्रमा ज्यादातर धन व्यर्थ कार्यों एवं बीमारी में खर्च कराता है। अष्टमस्थ चंद्रमा का फल भट्टनारायण विरचित चमत्कार चिन्तामणि नामक ग्रन्थ में इस प्रकार दिया गया है- सभाविद्यतेभैषजीतस्यगेहे पचेत्कर्हिचित्क्वाथमुद्गोदकानि | महाव्याधयोभीतयोवारिभूताः शशीक्लेशकृत्संकटान्यष्टमस्थः || अर्थात्-

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