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संवत्सरप्रवृत्तिः

संवत्सरप्रवृत्ति: कथं संवत्सरप्रवृतिः भवति इति विषये प्रमाणवाक्यानि प्रस्तूयन्ते। वेदाङ्गज्योतिषे चान्द्रमानेन प्रभवादि सम्वत्सराणां प्रवृत्तिरुक्ता। भानुघ्नभागादि समैरहोभिस्तस्य प्रवृत्तिः प्रथमं क्रियात्स्यात्। इत्यनेन क्वचित्सौरमानेनोक्ता। इति त्रिधा प्रभवादि षष्टिसम्वत्सराणां प्रवृत्तिर्दृश्यते- – चान्द्रमानेन संवत्सरप्रवृत्तिः – सौरमानेन संवत्सरप्रवृत्तिः – बार्हस्पत्यमानेन संवत्सरप्रवृत्तिः इदानीम् एतेषां संवत्सराणां वैशिष्ट्यं विचार्यते- बार्हस्पत्यसंवत्सरस्य वैशिष्ट्यम् प्रभवादिप्रवृत्तिः बार्हस्पत्यमानेनैव उक्ता । यथोक्तं सूर्यसिद्धान्ते- बार्हस्पत्येन षष्ट्यब्दं ज्ञेयं नान्यैस्तु नित्यशः।। लघुवसिष्ठसिद्धान्ते- मध्यगत्या भभोगेन […]

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Kharmas Rahsya

Kharmas Rahsya | खरमास रहस्य

वर्तमान में 14 मार्च 2024 से 13 अप्रैल 2024 तक खरमास (Kharmas) रहेगा। खरमास (Kharmas)….। आप सब के लिए एक जाना पहचाना शब्द है! इसके आने से पहले ही आप अपने शुभकार्य जल्दी से निपटाना चाहते हैं। खरमास में अशुभ की आशंका से सब डरते हैं इस संबंध में कुछ पौराणिक व्याख्यान भी काफी प्रचलित

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सपात दोष तथा ग्रहण दोष

सपात दोष तथा ग्रहण दोष चन्द्र+राहु/केतु हो और शराभाव हो तो इसको चन्द्रग्रहण दुर्योग और सूर्य+राहु/केतु हो और शराभाव हो तो इसको सूर्यग्रहण दुर्योग कहा जाता है। लेकिन यदि केवल चन्द्र+राहु/केतु हो इसे सपात चन्द्र दोष कहा जाता है। केवल सूर्य+राहु/केतु हो तो इसे सपात सूर्य दोष कहा जाता है। ग्रहण दोष ज्यादा खतरनाक दुष्प्रभाव

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अष्टम भाव के चन्द्रमा का फल

फलित सूत्र मृत्यु भावगत चन्द्रमा का फल – चंद्रमा के आठवें भाव में होने से आयु हानि होती है, और ऐसा चंद्रमा ज्यादातर धन व्यर्थ कार्यों एवं बीमारी में खर्च कराता है। अष्टमस्थ चंद्रमा का फल भट्टनारायण विरचित चमत्कार चिन्तामणि नामक ग्रन्थ में इस प्रकार दिया गया है- सभाविद्यतेभैषजीतस्यगेहे पचेत्कर्हिचित्क्वाथमुद्गोदकानि | महाव्याधयोभीतयोवारिभूताः शशीक्लेशकृत्संकटान्यष्टमस्थः || अर्थात्-

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अष्टम भाव के चन्द्रमा का फल

फलित सूत्र मृत्यु भावगत चन्द्रमा का फल – चंद्रमा के आठवें भाव में होने से आयु हानि होती है, और ऐसा चंद्रमा ज्यादातर धन व्यर्थ कार्यों एवं बीमारी में खर्च कराता है। अष्टमस्थ चंद्रमा का फल भट्टनारायण विरचित चमत्कार चिन्तामणि नामक ग्रन्थ में इस प्रकार दिया गया है- सभाविद्यतेभैषजीतस्यगेहे पचेत्कर्हिचित्क्वाथमुद्गोदकानि | महाव्याधयोभीतयोवारिभूताः शशीक्लेशकृत्संकटान्यष्टमस्थः || अर्थात्-

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अष्टम भाव के चन्द्रमा का फल

फलित सूत्र मृत्यु भावगत चन्द्रमा का फल – चंद्रमा के आठवें भाव में होने से आयु हानि होती है, और ऐसा चंद्रमा ज्यादातर धन व्यर्थ कार्यों एवं बीमारी में खर्च कराता है। अष्टमस्थ चंद्रमा का फल भट्टनारायण विरचित चमत्कार चिन्तामणि नामक ग्रन्थ में इस प्रकार दिया गया है- सभाविद्यतेभैषजीतस्यगेहे पचेत्कर्हिचित्क्वाथमुद्गोदकानि | महाव्याधयोभीतयोवारिभूताः शशीक्लेशकृत्संकटान्यष्टमस्थः || अर्थात्-

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अष्टम भाव के चन्द्रमा का फल

फलित सूत्र मृत्यु भावगत चन्द्रमा का फल – चंद्रमा के आठवें भाव में होने से आयु हानि होती है, और ऐसा चंद्रमा ज्यादातर धन व्यर्थ कार्यों एवं बीमारी में खर्च कराता है। अष्टमस्थ चंद्रमा का फल भट्टनारायण विरचित चमत्कार चिन्तामणि नामक ग्रन्थ में इस प्रकार दिया गया है- सभाविद्यतेभैषजीतस्यगेहे पचेत्कर्हिचित्क्वाथमुद्गोदकानि | महाव्याधयोभीतयोवारिभूताः शशीक्लेशकृत्संकटान्यष्टमस्थः || अर्थात्-

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संवत्सर मीमांसा

संवत्सर मीमांसा संवत्सर शब्द वैसे तो आपके लिए जाना पहचाना शब्द है। पर इसकी गुत्थी उतनी भी आसान नहीं है जितना सबलोग समझते हैं । जब हम संवत्सर पर विचार करना शुरु करते हैं तो अनेकों प्रश्न धावा बोल देते हैं जिनका सही उत्तर जल्दी प्राप्त नहीं होता। मुझसे भी कई बार इस पर अनेक

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संवत्सर मीमांसा

संवत्सर मीमांसा संवत्सर शब्द वैसे तो आपके लिए जाना पहचाना शब्द है। पर इसकी गुत्थी उतनी भी आसान नहीं है जितना सबलोग समझते हैं । जब हम संवत्सर पर विचार करना शुरु करते हैं तो अनेकों प्रश्न धावा बोल देते हैं जिनका सही उत्तर जल्दी प्राप्त नहीं होता। मुझसे भी कई बार इस पर अनेक

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संवत्सर मीमांसा

संवत्सर मीमांसा संवत्सर शब्द वैसे तो आपके लिए जाना पहचाना शब्द है। पर इसकी गुत्थी उतनी भी आसान नहीं है जितना सबलोग समझते हैं । जब हम संवत्सर पर विचार करना शुरु करते हैं तो अनेकों प्रश्न धावा बोल देते हैं जिनका सही उत्तर जल्दी प्राप्त नहीं होता। मुझसे भी कई बार इस पर अनेक

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