भारतीय ज्योतिष में पृथ्वी स्थिर और सूर्य गतिमान कैसे ?

भारतीय ज्योतिष में पृथ्वी स्थिर और सूर्य गतिमान कैसे ?

 

किसी जिज्ञासु ने निम्नलिखित प्रश्न पूछा है और मुझे लगता है की आप में से बहुत सारे लोग इस प्रश्न/संशय का निराकरण अवश्य जानना चाहते होंगे | क्या सूर्य स्थिर ग्रह है (is sun stationary) ? आइये जानते हैं |

प्रश्न- श्रीमान नमस्कार ! मेरा एक प्रश्न है की सूर्य एक स्थिर ग्रह है, यह बात आज के वैज्ञानिक युग में सब लोग जानते हैं | फिर व भारत वर्ष के ज्योतिषी लोग यह कहते हुए देखे जाते हैं और ये बात पंचांगों में भी लिखी रहती है- “मकर राशि में सूर्य प्रवेश” | सूर्य अलग अलग महीनों में अलग अलग राशियों में घूमता रहता है | यह बात समझ में नहीं आती एक स्थिर ग्रह को आपलोग गतिमान कैसे बताते हैं | इतने महान ज्योतिष शास्त्र को बताने वाले त्रिकालदर्शी ऋषि मुनियों को क्या इसका ज्ञान नहीं था ? अथवा इसको समझने में हमसे ही कोई भूल हो रही है ! इसके पीछे का रहस्य क्या है ? कृपया बताने की कृपा करें, आपका बहुत आभार होगा |

 

उत्तर- इस प्रश्न का उत्तर सरल ही है | मैं तो इसका उत्तर दे ही दूंगा, लेकिन इसका उत्तर देने से पहले मैं कुछ बातें स्पष्ट कर दूँ-

  • ग्रहगणना के लिए दो पद्धतियों का प्रयोग किया जाता है
  1. भुकेन्द्रिक(Geocentric) ग्रहगणना (इसमें पृथ्वी स्थिर ग्रह है)
  2. सूर्यकेंद्रिक(Heliocentric) ग्रहगणना (इसमें सूर्य स्थिर ग्रह है)
  • दोनों ही गणनाओं में ग्रहों के मान में कोई अंतर नहीं आता, परिणाम हमेशा समान ही आते हैं, फिर भी दोनों का अपना अपना विशेष महत्त्व है |
  • आज भी विश्व के ज्यादातर Ephemeries वाले भूकेन्द्रिक ग्रहगणना ही करते हैं, पर प्रश्न हमेशा भारतीय पंचांगों पर ही उठाया जा सकता है |
  • मौसम की भविष्यवाणी, उपग्रहों का प्रक्षेपण भुकेन्द्रिक ग्रहगणना द्वारा ही सम्भव है, सभी वैज्ञानिक इन कार्यों के लिए भुकेन्द्रिक ग्रहगणना का प्रयोग करते हैं |

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अब आते हैं आपके प्रश्न पर- इस प्रश्न का जवाब समझने के लिए आपको भौतिकी के आपेक्षिकता सिद्धान्त (Theory of Relativity) को समझते हैं तो ये प्रश्न समझना आपके लिए बहुत सरल हो जाएगा | न भी समझते हों तो एक छोटे से उदाहरण के द्वारा इसको समझने का प्रयास करते हैं |

माना मैं किसी बस में बैठ कर जा रहा हूँ और खिड़की के बाहर मेरी नज़र जाती है, तो बस के गतिशील होने के कारण मुझे बस के बाहर के पेड़ पौधे भी चलते हुए यानी बस के विपरीत दिशा में भागते नज़र आते हैं | अब अगर मैं ये सवाल करूँ की जो पेड़ पौधे पीछे की ओर भागते हुवे नज़र आ रहे हैं वो किस रफ्तार से पीछे की ओर भाग रहे हैं ? तो इसका जवाब होगा जिस रफ़्तार से बस चल रही है ! अगर बस 40km/h की रफ्तार से चल रही है तो पेड़ पौधे 40km/h की रफ्तार से ही पीछे भागते हुए दिखाई देंगे और अगर बस 60km/h की रफ्तार से चल रही है तो पेड़ पौधे भी 60km/h की रफ्तार से ही पीछे भागते हुए दिखाई देंगे |

अब ऐसा हो की हमें बस की गति मालूम न हो ! हमें जानना हो की बस किस गति से चल रही है तो इसके लिए हम बस को स्थिर मान लें पेड़ पौधों को ही गतिशील मानकर गणना करें तो हमें उत्तर मिलेगा 60km/h | अब अगर हम पेड़ पौधों को ही स्थिर मान लें जो की वास्तव में स्थिर हैं और बस को गतिशील मान लें जो की वास्तव में गतिशील है और फिर गणना करें तो भी हमें बस की गति 60km/h ही प्राप्त होगी | हम दोनों में से किसी को भी स्थिर मानें क्योंकि एक पिण्ड तो स्थिर है एक ही पिण्ड गतिमान है, गतिमान पिण्ड के कारण ही हमें अन्य स्थिर पिण्ड भी गतिमान नजर आता है इसलिए हम दोनों में से  किसी को भी स्थिर मानें तो हमारे परिणाम में कोई अंतर नहीं आता है | इसे ही आपेक्षिकता का सिद्धान्त या Theory of Relativity कहते हैं | यह उदाहरण आपेक्षिकता के सिद्धान्त का परिचय मात्र है |

 

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वारक्रम का आधार क्या है ?

 

अब उपर्युक्त उदाहरण के माध्यम से आपके प्रश्न को समझने का प्रयास करते हैं | सूर्य स्थिर ग्रह है और पृथ्वी गतिशील है ! अब पृथ्वी गतिशील है और हम पृथ्वी में स्थित होकर सूर्य को देख रहे हैं, तो हमें सूर्य घूमता हुआ नजर आएगा या नहीं आएगा ? हमें सूर्य गतिशील नजर आता है |  अब जब हम कहते हैं की सूर्य मकर राशि में चला गया या मीन राशि में चला गया तो उसका भाव यही है की पृथ्वी अपनी कक्षा में घूमते हुए अपने परिक्रमण मार्ग के उस कोण पर पहुँच गई है की हमें सूर्य मकर राशि में नजर आ रहा है |

पृथ्वी सूर्य के चारों ओर दीर्घवृत्ताकार पथ में भ्रमण कर रही है तो हमें इस पथ पर घूमते हुए हर अलग अलग कोण में सूर्य के पीछे के पृष्ठदृश्य(Background) यानी की राशियाँ अलग अलग बदलते हुई नजर आएँगी | एक स्थान पर सूर्य के पीछे का पृष्ठदृश्य मेष राशी का होगा, उसके 30° आगे जाने पर वो पृष्ठदृश्य वृष राशी का हो जाएगा, फिर वहाँ से और 30° आगे जाने पर मिथुन राशी के पृष्ठदृश्य में सूर्य दिखाई देगा ऐसे ही आगे-आगे पृथ्वी के गतिमान रहने के कारण सूर्य अलग-अलग पृष्ठदृश्यों के सामने नजर आता है | अब सूर्य तो स्थिर ही है पर पृथ्वी के अक्षभ्रमण के कारण सूर्य हमें अलग-अलग राशियों के सामने नजर आता है | इसी को हम सरल भाषा में कहते हैं की सूर्य मेष राशी चला गया या मीन राशी में चला गया आदि आदि | सूर्य कहीं नहीं गया है बल्कि पृथ्वी ही अपने परिक्रमण पथ के ऐसे बिन्दु में पहुँच गई है की सूर्य हमें मेष राशि में या अन्यान्य राशियों में नजर आ रहा है |

 

 

भुकेन्द्रिक सूर्यकेंद्रिक ग्रहकक्षाक्रम-

दोनों की ग्रहकक्षाक्रमों को ध्यान से देखिये-

 

सूर्यकेंद्रिक ग्रहकक्षाक्रम-

सूर्य स्थिर ग्रह है
solar system, earth’s movement, how is earth stationary.

 

सूर्यकेंद्रिक व्यवस्था में ग्रहकक्षाक्रम इस प्रकार होता है-

सूर्य-बुध-शुक्र-पृथ्वी+चन्द्रमा-मंगल-गुरु-शनि

 

अब यदि आपने आपेक्षिकता सिद्धान्त (Theory of Relativity) को ठीक से समझ लिया है, तो पृथ्वी और सूर्य के स्थानों को परस्पर स्थानांतरित कर दें, अर्थात् जहाँ पृथ्वी है वहाँ सूर्य को रख दें और जहाँ सूर्य है वहाँ पृथ्वी को रख दें, पृथ्वी के साथ-साथ चन्द्रमा भी जाएगा ही (चन्द्रमा और पृथ्वी की कक्षा सामान होने से ) |

अब आप क्या पाते हैं ? अरे आपने तो भुकेन्द्रिक ग्रहकक्षाक्रम बना लिया…. वाह !!!

 

 

 

 

भुकेन्द्रिक ग्रहकक्षाक्रम-

 Planetory Positions
Geocentric Planetory Position

 

भूकेंद्रिक व्यवस्था में ग्रहकक्षाक्रम हमें इस प्रकार प्राप्त होता है-

पृथ्वी-चन्द्रमा-बुध-शुक्र-सूर्य-मंगल-गुरु-शनि

 

दोनों ही कक्षाक्रमों में आपेक्षिकता सिद्धान्त (Theory of Relativity) से अन्तर दिखाई पड़ता है | इस बात में कोई संशय नहीं की हमारे ऋषि-मुनि गण दोनों ही कक्षाक्रमों को भलीभांति जानते थे परन्तु प्रयोजन के आग्रह से उन्होंने भूकेंद्रिक ग्रहकक्षाक्रम को ग्रहगणित के लिए महत्त्व दिया, इस बात को आप जैसे आध्येता अवश्य ही समझ गए होंगे |

 

पं. ब्रजेश पाठक ज्योतिषाचार्य   

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