विवाह के नक्षत्र
पारस्करगृह्यसूत्रम् के अनुसार
- उत्तराफाल्गुनी
- हस्त
- चित्रा
- उत्तराषाढा
- श्रवण
- धनिष्ठा
- उत्तराभाद्रपद
- रेवती
- अश्विनी
- स्वाती
- मृगशिरा
- रोहिणी
मुहूर्त चिन्तामणि के अनुसार
- मृगशिरा
- मूल
- हस्त
- अनुराधा
- मघा
- रोहिणी
- रेवती
- उत्तराफाल्गुनी
- उत्तराषाढा
- उत्तराभार्द्रपदा
- स्वाती
दोनों को मिलाकर विवाह नक्षत्र
- उत्तराफाल्गुनी
- हस्त
- चित्रा
- उत्तराषाढा
- श्रवण
- धनिष्ठा
- उत्तराभाद्रपद
- रेवती
- अश्विनी
- स्वाती
- मृगशिरा
- रोहिणी
- मूल
- अनुराधा
- मघा
नोट – नवतारा चक्र के अनुसार वर एवं वधू के निमित्त उक्त नक्षत्रों के आलोक में विवाह हेतु शुभ नक्षत्र का चयन करना चाहिए।
विवाह मुहूर्त चयन के समय ध्यातव्य :
वधू को वर के घर पर आना होता है और बाद ससुराल ही उसका अपना घर होता है इसलिए वर के लिए शुभ नक्षत्र में भी विवाह हो सकता है लेकिन वर के लिए अशुभ नक्षत्र में विवाह नहीं कर सकते।
ब्रजेश पाठक ज्यौतिषाचार्य