कन्या के शीघ्र विवाह हेतु एक प्रयोग मैंने सोशल मीडिया पर डाला था। तब कमेंट सेक्शन में एक सज्जन ने आग्रह किया था कि लडकों के विवाह हेतु भी कोई प्रयोग हो तो बताएँ। उनके आग्रह को स्वीकार करके वर के विवाह हेतु एक अमोघ अथर्ववेदीयवेदीय प्रयोग बता रहा हूँ। इस प्रयोग से संबंधित अथर्ववेद की तीनों ऋचाएँ प्रस्तुत हैं –
आगच्छत आगतस्य नाम गृह्णाम्यायतः ।
इन्द्रस्य वृत्रघ्नो वन्वे वासवस्य शतक्रतोः ॥१॥
येन सूर्यां सावित्रीमश्विनोहतुः पथा ।
तेन मामब्रवीद्भगो जायामा वहतादिति ॥२॥
यस्तेऽङ्कुशो वसुदानो बृहन्न् इन्द्र हिरण्ययः ।
तेना जनीयते जायां मह्यं धेहि शचीपते ॥३॥
- यदि आप वैदिक हैं आपका ससमय यज्ञोपवीत हुआ है तो स्वयं ही नित्य इन तीन मन्त्रों का एक माला जप करें।
- यदि आप वैदिक नहीं हैैं आपका ससमय यज्ञोपवीत नहीं हुआ है, तो किसी योग्य वैदिक ब्राह्मण से नित्य एक माला जप कराएँ।
- यह जप एक वर्ष तक अथवा विवाह होने तक (जो भी पहले हो पूर्ण हो) कराएँ।
- यह अथर्ववेदीय प्रयोग बहुत अद्भुत् और प्रभावशाली है। इससे जन्मकुण्डली में बनने वाले दुर्योगों के प्रभाव उपशमित होते हैं और विवाह होने का मार्ग प्रशस्त होता है।
- यदि धर्मपत्नी रूठ कर या छोडकर चली गई हो तो भी यह प्रयोग करा सकते हैं (दोनों प्रयोगों में संकल्प वाक्य अलग-अलग होंगे) पत्नी वापिस आ जाएगी। छोडकर जाने के बाद जितना जल्दी यह प्रयोग शुरु कराएँगे उतना जल्दी लाभ होगा। जितना देर से प्रयोग प्रारम्भ करेंगे लाभ भी उसी अनुपात में विलम्ब से होगा।
ब्रजेश पाठक ज्यौतिषाचार्य